एमपी में फिर भर्ती घोटाला की मीडीया में खबर, बिना रजिस्टर्ड डिग्री वाले भी बन गए प्रोफेसर

मीडीया रिपोर्ट के अनुसार  मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले के बाद एक बार फिर भर्ती संबंधित घोटाला सामने आता दिख रहा है। हम बात कर रहे हैं महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज, इंदौर में हुई भर्तियों के बारे में। यहां हाल ही में 74 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती हुई है। इसी भर्ती की नियुक्ति प्रक्रिया का मामला अब तूल पकड़ रहा है। सबसे ज्यादा विवाद में एमजीएम का बायोकेमेस्ट्री विभाग है। जिन अभ्यर्थियों का चयन नहीं हुआ है वह इस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुई नियुक्ति पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि साक्षात्कार बोर्ड ने इस विभाग में जिसका चयन किया है उसकी एमडी की डिग्री एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) में रजिस्टर्ड नहीं है।

दरअसल, एमजीएम मेडिकल कॉलेज में बायोकेमेस्ट्री विभाग की पीजी की डिग्री को पहली बार मान्यता मिली है और इस विभाग में पीजी का एक बैच पासआउट हो चुका है, लेकिन एमसीआई की तरफ से अभी तक डिग्री की मान्यता जारी नहीं की गई है। इसे लेकर ही अब सवाल खड़ किया जा रहा है। दैनिक भास्कर के मुताबिक बायोकेमेस्ट्री विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जिस अभ्यर्थी का चयन किया गया है उसकी एमडी की डिग्री एमजीएम मेडिकल कॉलेज की ही है, लेकिन अभी तक उसकी डिग्री को एमसीआई की तरफ से मान्यता नहीं दी गई है। जबकि कॉलेज प्रशासन द्वारा जब भर्तियों से संबंधित विज्ञापन निकाला गया था तब कहा गया था कि जिन अभ्यर्थियों की एमडी की डिग्री एमसीआई में रजिस्टर्ड होगी, उसे ही मान्यता दी जाएगी। अब अभ्यर्थियों द्वारा जब भर्ती पर सवाल खड़ा किया गया तब कॉलेज प्रशासन ने तर्क दिया कि अभी तक एमसीआई की टीम निरीक्षण करने नहीं आई है, ऐसे में मान्यता कैसे मिलती।

इसके माइक्रो बायोलॉजी विभाग में हुई भर्तियां भी सवालों के घेरे में हैं। कहा जा रहा है कि नियुक्ति के दौरान विभाग में कार्यरत एसआर को प्राथमिकता नहीं दी गई, जबकि नियम के मुताबिक ऐसे अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाती है। पैथोलॉजी विभाग में हुई भर्तियों को लेकर भी विवाद खड़ा हो रहा है। दरअसल, इस विभाग में इंटरव्यू से पहले 80 में से प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट सूची तैयार की गई थी। सूची में जिनका नाम था उन अभ्यर्थियों के बीच एक, दो या तीन अंकों का ही अंतर था। इंटरव्यू के लिए 20 अंक थे, इंटरव्यू के बाद चार लोगों का चयन हुआ। इन चार अभ्यर्थियों में एक ऐसा अभ्यर्थी भी था जिसका नाम पहले निकाली गई मेरिट लिस्ट में 17वें नंबर पर था। इसी को लेकर सवाल किया जा रहा है कि क्या इंटरव्यू में बाकी 13 अभ्यर्थियों को इतने कम अंक मिले की 17वें नंबर के अभ्यर्थी का चयन हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *