Video: डॉ कफील खान ने न्यूज चैनल पत्रकार से बयां की जेल में बिताए आठ महीने की आपबीती- देखिए पूरा इंटरव्यू
बीआरडी मेडिकल कालेज में पिछले साल ऑक्सीजन की कथित कमी की वजह से बच्चों की मौत होने के सिलसिले में कार्रवाई का सामना करने वाले डॉ कफील खान 28 अप्रैल को जेल से बाहर आ गए। उन्होंने जेल में बिताए आठ महीने के अनुभव को एक न्यूज चैनल संग साझा किया है। डॉक्टर कफील खान ने बताया कि जेल में कैदियों को ऊपर चढ़ कर टॉयलेट जाना होता था। वह मच्छरों और गंदगी के बीच रहने को मजबूर रहे। उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि 60 लोगों की बैरक में 150 कैदी रखे जाते थे। कभी-कभी तो इनकी सख्यां 180 तक हो जाती है। इन्हीं बैरक में 12 घंटे तक रहना पड़ता था। शाम के छह बजे बैरक बंद कर दिए जाते थे।
यहां हम आपको कफिल खान और पत्रकार के बीच हुए बातचीत को साझा कर रहे हैं-
पत्रकार- वहां खाने, रहने और सोने का क्या इंतजाम था?
कफील खान- वहां बैरक होते हैं, जो शाम को छह बजे बंद हो जाता है। इसमें 12 घंटे रहना होता था। इसके बाद कोई कैदी थोड़ा-बहुत घूम फिर सकता है। हमारे बैरक की क्षमता 60 कैदियों की थी लेकिन संख्या 180 तक पहुंच जाती थी। वहां सिर्फ एक ही टॉयलेट था। सर्दियों में पानी पीना कम कर दिया था, क्योंकि रात में अगर टॉयलेट में जाना होता था तो लोगों को ऊपर चढ़कर जाना होता था। जिस बैरक में मैं था वहां पेशेवर अपराधी थी। इसमें किसी ने हत्या की है तो किसी ने ना जाने क्या? दिन रात मच्छर रहते थे। गंदगी भी बहुत होती थी। खाने के टाइम सब दौड़ते थे। चाय दिन सिर्फ एक बार शाम को चार बजे मिलती थी। हालांकि मैंने वहां किताबें पढ़ी। मैंने कुरआन पढ़ा, रोज कुरआन पढ़ा। इंग्लिश में पढ़ा। इस धार्मिक किताब को समझा। जिंदगी के बारे में समझा। चूंकि कुछ भी किसी ना किसी कारण से होता है।
पत्रकार- मां और पत्नी पर आपके जेल जाने पर क्या प्रभाव पड़ा? उनकी वजह से भी परेशान रहे?
कफील खान- मां तो बहुत परेशान रहती थीं। जब मैं बाहर आया तो उन्होंने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि उनका बेटा जेल से बाहर आ गया। मां को तो लग रहा था कि हम कभी वापस ही नहीं आ पाएंगे। जेल गए हैं तो लगा चार-पांच साल के लिए वापस नहीं आ पाएंगे। जेल गया जब मेरी बेटी महज 11 महीने की थी। हर बाप को पता होता है कि उसकी बेटी कब चलना सीखी, कब वह बोलना सीखी, लेकिन मैं उसका बाप हूं और मुझे नहीं पता वो कब चलना सीखी। कब दौड़ना सीखी।
गोरखपुर बीआरडी कांड के आरोपी डॉ. कफील खान से खास बातचीत
आठ माह बाद जेल से रिहा हुए गोरखपुर बीआरडी कांड के आरोपी डॉ.कफील खान ने आठ माह के अपने जेल के अनुभव को NDTV के साथ सांझा किया उन्होंने कहा कि हमारे बैरक को शाम को 6 बजे बंद कर देते थे. फिर सुबह तक उसी बैरक में रहना होता था. 12 घंटे उस बैरक में बिताने के बाद फिर आप थौड़ा बहुत इधर उधर टहल सकते हो. हमारे बैरक की क्षमता 60 लोगों की थी लेकिन कभी- कभी उसमें 150 कभी 180 हो लोग हो जाते थे और वहां केवल एक ही टॉयलेट था.अन्य वीडियो देखें – https://khabar.ndtv.com/videos
Posted by NDTVKhabar.com on Tuesday, May 1, 2018
बता दें कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉ खान नोडल अधिकारी थे। उनपर 100 बेड वाले चाइल्स वार्ड की जिम्मेदारी थी। अदालत ने बाहर आने के बाद डॉ कफील का हुलिया बदला हुआ था। उन्होंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी। अपने परिवार वालों से मिलकर डॉ कफील की आखों से आंसू निकल पड़े थे।