AMU: डिबेट में बोले मुस्लिम विद्वान: हटानी चाहिए जिन्ना की तस्वीर

प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर ने हिन्दुस्तान में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कई हिन्दू संगठनों ने इस तस्वीर को तुरंत हटाने की मांग की है। इसी मु्द्दे पर टीवी चैनल आजतक में गर्मागर्म बहस हुई। बता दें कि AMUSU के सेंट्रल हॉल में गांधी, नेहरू जैसे नेताओं के बीच जिन्ना की तस्वीर टंगी है। इस मुद्दे पर बहस के दौरान इस्लामिक स्कॉलर फहीम बेग ने कहा कि एएमयू का छात्र संघ भले ही इस तस्वीर की वकालत कर रहा हो, लेकिन इस तस्वीर हो हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा, “ये बहुत बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है, जिस प्रकार से हमारे देश की ये नयी सरकार है, इसमें एक मुद्दा मंत्रालय बना हुआ है, जहां पर हर सेवेर नेता और मंत्री को काम दिया जाता है आपको ये मुद्दा उछालना है, तो ये तस्वीर का मुद्दा दो चार दिन चलेगा और देश के कोर इश्यू पीछे चले जाएंगे।”

मुस्लिम विद्वान फहीम बेग ने अपनी राय रखते हुए आगे कहा, “मैं चाहूं इसके हटा दें तो ज्यादा बेहतर है क्योंकि जिन्ना से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। ये अलग बात है कि आडवाणी जी उसे देवता मानते हैं धर्मनिरपेक्षा का, और शांति का दूत मानते हैं, आडवाणी जी आज भी यहां मौजूद हैं, संसद में बैठकर वो हमारी सीट पर बैठते हैं, पब्लिक के टैक्स के पैसे के बल पर खूब आराम से चाय-समोसा खाते हैं, वो एक अलग बात है कि आडवाणी जी उनको बहुत अच्छा इंसान, बहुत अच्छा देवता मानते हैं।” फहीम बेग के इस बयान के नीचे के वीडियो में आठवें मिनट पर सुना जा सकता है।

बता दें कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी जून 2005 में कराची पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने कायदे आज़म मोहम्मद अली जिन्ना को श्रद्धांजलि दी थी। आडवाणी जिन्ना के मजार पर गये और उन्हें धर्मनिरपेक्ष बताया था। आडवाणी ने जिन्ना को अलग शख्सियत करार देते हुए आडवाणी ने कहा था कि जिन्ना ने इतिहास बनाया था। आडवाणी के इस बयान पर भारत में काफी हंगामा हुआ था। आरएसएस और हिन्दूवादी संगठनों ने आडवाणी की आलोचना की। इस बयान के बाद आडवाणी को बीजेपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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