Vishwakarma Puja 2017: जानिए क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा, क्या है इसका महत्व और इतिहास
आज 17 सितंबर यानी विश्वकर्मा पूजा का दिन है। इस दिन हिंदू धर्म में वास्तुकार माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। पूजा हर साल बंगाली महीने के भद्र में आखिरी दिन होती है। इसे भद्र संक्रांति या कन्या संक्रांति भी कहा जाता है। चलिए आपको बताते हैं क्यों मनाया जाता है विश्वकर्मा का त्योहार और क्या हैं इसका इतिहास?
क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा का त्योहार-
इस दिन देशभर में हिंदू धर्म के मानने वाले फैक्टरी, कारखाना, कंपनी या कार्यस्थलों पर विश्वकर्मी की पूजा करते हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वेल्डर, मकैनिक और इस क्षेत्र में काम कर रहे लोग पूरे साल सुचारू रूप से कामकाज करते रहें इसलिए ये पूजा की जाती है। बंगाल, ओडिशा और पूर्वी भारत में हर साल 17 सितंबर को ये त्योहार मनाया जाता है। हालांकि कुछ जगहों पर ये त्योहार दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है। देश के कई हिस्सों में इस दिन पतंग उड़ाने का भी चलन है।
विश्वकर्मा पूजा का इतिहास-
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें ‘वज्र’ भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था। वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा अपना गुरू मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं।
ऐसे होती है पूजा-
इस दिन सभी कार्यस्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की पूजा की जाती है। पूरे कार्यस्थलों को फूलों से सजाया जाता है। गौरतलब है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा के वाहन हाथी की पूजा की जाती है। पूजा पूरी होने के बाद सभी को पूजा का प्रसाद दिया जाता है। कई कार्यस्थलों पर लोग औजारों की भी पूजा करते हैं। साल के 365 काम चले इसलिए यज्ञ भी कराए जाते हैं।