सिस्टम ने फेल की मोदी सरकार की योजना, नहीं हो सका लाखों किसानों का बीमा, अब मौसम ने रुलाया

पिछले हफ्ते उत्तरी भारत के कई हिस्सों में आई तेज आंधी, तूफान और ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। खेतों में लगी सब्जियों की फसल, मक्के की फसल बर्बाद हो गई हैं। हालांकि, सरकार किसानों को मुआवजे की बात कह रही है लेकिन फसल बीमा नहीं होने से किसान चिंतित हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसी तरह के प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को राहत दिलाने के लिए साल 2016 में संशोधित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू किया है। इसके तहत पहले से तय प्रीमियम की रकम को कम किया गया है। बावजूद इसके देशभर के किसान इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों को मुताबिक मात्र 23 फीसदी किसान ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी-अपनी फसलों का बीमा करवा सके हैं। सरकार की योजना के मुताबिक किसान दो माध्यमों से बीमा करवा सकते हैं। पहला तो ऑनलाइन इन्श्योरेन्स ले सकते हैं और दूसरा कॉमर्शियल बैंकों में जाकर ऑफलाइन मोड में फॉर्म भरकर भी किसान फसल बीमा करवा सकते हैं लेकिन कागजी प्रक्रिया लंबी होने की वजह से अधिकांश किसान फसल का बीमा ही नहीं करवा पा रहे हैं।

दरअसल, किसानों को आवेदन के साथ एक फोटो, आईडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड), एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड), अगर अपना खेत है तो खसरा नंबर/खाता नंबर का पेपर भी जमा करना होगा। इसके अलावा खेत पर फसल बोने का प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा। इसके लिए पटवारी, सरपंच, प्रधान आदि से एक पत्र लिखवाकर जमा करना होगा।

नियम के मुताबिक फसल बोने के 10 दिनों के अंदर ही सारे कागजात जमा कराने होंगे तभी बीमा हो सकेगा लेकिन जमीनी दिक्कत यह है कि किसान दस दिनों के अंदर ये सारी कागजी कार्रवाई पूरी नहीं कर पाते हैं। पहली तो अधिकारियों की गैर मौजूदगी और दूसरी बैंकों की उदासीनता की वजह से अधिकांश किसान फसल बीमा नहीं ले पाते हैं।

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