जस्टिस केएम जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट जज बनना तय! कोलेजियम में बनी आम सहमति, केंद्र की आपत्तियां दरकिनार

उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम. जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में जज बनने की संभावना बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में इस मसले पर शुक्रवार (11 मई) को व्यापक विचार-विमर्श हुआ। इसमें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ शीर्ष अदालत के चारों वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने शिरकत की। तकरीबन एक घंटे तक चली बैठक में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर जस्टिस जोसेफ के नाम को फिर से केंद्र के पास भेजने को लेकर सैद्धांतिक तौर पर आम सहमति बन गई है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मौजूदा प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार किसी भी जज के नाम को पुनर्विचार के लिए एक बार वापस भेज सकती है। लेकिन, कोलेजियम द्वारा दोबारा से उसी जज के नाम की सिफारिश करने की स्थिति में सरकार के पास उसे स्वीकृत करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर जस्टिस जोसेफ के साथ कुछ अन्य जजों के नाम की भी संस्तुति की जाएगी। कोलेजियम में चीफ जस्टिस के अलावा सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज भी शामिल होते हैं। मौजूदा समय में कोलेजियम में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। बता दें कि जनवरी में सार्वजनिक तौर पर प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात कहने वालों में जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस गोगोई, जस्टिस लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे।

जस्टिस चेलामेश्वर ने 9 मई को चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र: सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस चेलामेश्वर ने 9 मई को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने अविलंब कोलेजियम की बैठक बुलाने का अनुरोध किया था, ताकि जस्टिस केएम. जोसेफ के नाम को फिर से केंद्र के पास भेजने पर विचार किया जा सके। मालूम हो कि केंद्र ने 26 अप्रैल को जस्टिस जोसेफ को प्रोन्नत करने की सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए उनके नाम को वापस कोलेजियम के पास भेज दिया था। बता दें कि जस्टिस जोसेफ ने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के आदेश को रद्द कर दिया गया था। ऐसे में सरकार पर आरोप भी लगने लगे थे। हालांकि, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। उन्होंने वरिष्ठता क्रम और सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का हवाला देते हुए जस्टिस जोसेफ के नाम को लौटाया था। हालांकि, सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु माल्होत्रा के नाम को अपनी स्वीकृति दे दी थी।

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