कैसे स्वच्छ होगा इंडिया? फंड के अभाव में कंपनियों के आगे हाथ फैला रही नरेन्द्र मोदी सरकार

नरेन्द्र मोदी सरकार की महात्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के लिए भारत सरकार के पास पैसे नहीं है। सरकार ने फंड के लिए देश की सरकारी और निजी कंपनियों को पत्र लिखा है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे अपने कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिल्टी (सीएसआर) का एक हिस्सा सरकार के फंड में जमा करें। ताकि सरकार इस रकम का इस्तेमाल स्वच्छ भारत अभियान के लिए कर सके। केन्द्र के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सभी कंपनियों को पत्र लिखकर सीएसआर का 7 प्रतिशत हिस्सा स्वच्छ भारत कोष में जमा करने को कहा है। ये पहली बार है जब सरकार ने किसी विशेष मकसद के लिए कंपनयिों को अपने सीएसआर का एक हिस्सा सरकारी खाते में जमा करने को कहा है। इसके अलावा सरकार ने कंपनियों को सुझाव दिया है कि अपने मैनपॉवर का कुछ हिस्सा स्वच्छता अभियान में लगाएं और ‘स्वच्छता ही सेवा’ का संदेश देने वाले होर्डिंग्स लगाएं। मंत्रालय का कहना है कि ये एक मात्र सुझाव है और इसे मानना ना मानना कंपनियों पर निर्भर करता है।

क्लीन इंडिया मिशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना है । वे इस प्रोजेक्ट को देश विदेश में अपनी सरकार की प्राथमिकता के तौर पर पेश कर चुके हैं। अब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम इस मिशन के जरिये लोगों की जिंदगी में अहम बदलाव देखना चाहते हैं। सरकार को लाखों शौचालय बनवाने हैं। लेकिन फंड की कमी की वजह से इस योजना की रफ्तार धीमी है। 2 अक्टूबर 2014 को लॉन्च इस योजना के तहत 2019 तक देश में 11 करोड़ शौचालय बनवाने थे लेकिन 2015 में इस योजना के तहत 49 लाख और 2016 में 40 से 50 लाख शौचालय बनाये जा सके हैं। सरकार अब चाहती है कि 2017-18 में कम से कम 2-2 टॉयलेट बनाए जाएं। इस काम के लिए जिस फंड की जरूरत है सरकार उसे जुटाने में सक्षम नहीं है इसलिए उसे प्राइवेट और सरकारी कंपनियों के दरवाजे खटखटा रही है। सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर से अपील की है कि वे स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को गोद लें और उसे मॉडल के रूप में विकसित करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *