उत्तराखंड फिल्म उद्योग को नया आयाम देगी ‘मेजर निराला’
‘उत्तराखंड के सैनिक साहसी, सीधे, साधारण और धरती से जुड़े होते हैं। वे शांति से काम करते हैं और उनकी इच्छा अपने पिता से ऊंचे पद तक पहुंचना होती है’। ये बातें विदेश राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने रविवार को राष्ट्रीय संग्रहालय में फिल्म ‘मेजर निराला’ के प्रोमो जारी होने के मौके पर कहीं। यह फिल्म उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के उपन्यास पर आधारित है। फिल्म का निर्माण उनकी बेटी आरुषी निशंक ने किया है। फिल्म में एक गाना कैलाश खेर ने गाया है। यह उनका पहला उत्तराखंडी गाना है।
विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि फिल्म ‘मेजर निराला’ में सैनिकों और उत्तराखंड की खूबसूरती को बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में सैनिक के दर्द को तो दिखाया ही गया है साथ ही उत्तराखंड के पहाड़, वन और वन्यजीवों की सुंदरता को भी दिखाया गया है। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि सेना अध्यक्ष रहने की वजह से मुझे मालूम है कि उत्तराखंड के हर दूसरे घर में कोई न कोई सेना से जुड़ा व्यक्ति होता ही है। कई बार तो पूरा परिवार ही सेना से जुड़ा रहता है।
विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में पहुंचे दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि मैंने कभी किसी क्षेत्रीय फिल्म के प्रोमो के जारी होने पर इतने सारे लोग नहीं देखे। उन्होंने कहा, ‘मैं भी क्षेत्रीय कलाकार हूं और मुझे पता है कि क्षेत्रीय फिल्मों को बनाने में बहुत परेशानी आती है। गढ़वाली फिल्म से जुड़े लोगों की उपस्थिति नहीं के बराबर है। उत्तराखंड में सिनेमा के बहुत गुणी लोग हैं’। उन्होंने कहा कि यदि सिनेमा को राज्य में तेजी से बढ़ाया जाए तो बहुत सारी समस्याओं का हल निकल आएगा। बड़े बजट की फिल्मों से ज्यादा छोटे बजट की फिल्में असर करती हैं।
फिल्म निर्माता आरुषी निशंक ने बताया कि फिल्म को बनाने में बहुत चुनौतियां आर्इं। फिल्म की शूटिंग दुर्गम इलाकों में हुई। इसे बेहतर बनाने में पूरी फिल्म की टीम ने पूरे मन से मेहनत की। उन्होंने बताया कि यह तकनीकी रूप से बेहतर पहली उत्तराखंडी फिल्म है। यह फिल्म आठ से अधिक भाषाओं और कई देशों में जारी की जाएगी।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बताया कि उत्तराखंड के युवाओं की रगों में देशभक्ति बहती है और अपने उपन्यास के माध्यम से इन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में बताया गया है कि किस तरह सामान्य परिस्थितियों में रहने वाला सैनिक कठिन परिस्थितियों से गुजरते हुए न सिर्फ देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाता है बल्कि अपने परिवार को भी सहारा देता है।
उन्होंने बताया कि जब मेरी बेटी आरुषी ने उपन्यास पर फिल्म बनाने का सुझाव दिया तो मैंने सबसे पहले यही कहा कि जब तक फिल्म को मैं न देख लूं तब तक उसे जारी नहीं किया जाए। अगर यह फिल्म मेरी आशा के अनुरूप नहीं बनी तो उसे जारी नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिल्म की पूरी टीम ने बहुत मेहनत की हे। हालांकि मैं अभी तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूं। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने की। उन्होंने ‘मेजर निराला’ उपन्यास की कुछ पंक्तियां पढ़ कर सुनार्इं। कार्यक्रम में फिल्म के निर्देशक गणेश वीरान के अलावा कलाकार और फिल्म निर्माण में सहयोग करने वाले लोग भी मौजूद थे।