आरबीआई का ऑर्डर- लोगों को कर्ज नहीं दे सकता देना बैंक, कई और बैंकों पर बैन संभव
देश का बैंकिंग सेक्टर नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। केंद्र सरकार और आरबीआई के हस्तक्षेप के बावजूद एनपीए लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे खासकर सरकारी क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट गड़बड़ाई हुई है। इसके बावजूद ये बैंक कर्ज देने से बाज नहीं आ रहे हैं। आरबीआई ने अब देना बैंक की तर्ज पर ऐसे अन्य बैंकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। उच्च एनपीए वाले इन बैंकों के खिलाफ प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा होने पर इन बैंकों को नया लोन देने से प्रतिबंधित किया जा सकता है। दरअसल, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इलाहाबाद बैंक और यूको बैंक ने हाल में ही जनवरी-मार्च तिमाही के आंकड़े जारी किए हैं। इसमें चारों बैंकों का एनपीए स्तर बहुत ऊंचा होने के साथ ही वित्तीय वर्ष 2017-18 में एसेट्स पर रिटर्न (आरओए) भी निगेटिव पाया गया है। ये बैंक पहले से ही पीसीए में शामिल हैं। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के अनुसार, आरबीआई चारों बैंकों को नया कर्ज देने से रोक सकता है।
तीन मानकों का रखा जाता है खयाल: पीसीए फ्रेमवर्क के तहत तीन मानकों का खयाल रखते हुए कदम उठाए जाते हैं। इनमें संबंधित बैंक की जोखिम वाली संपत्ति (रिस्क एसेट) और कुल पूंजी का अनुपात (सीआरएआर), नेट एनपीए और संपत्ति पर रिटर्न (आरओए) शामिल हैं। इनमें से एक भी मानक के असंतुलित होने की स्थिति में बैंकों को पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत डाल दिया जाता है और उनकी वित्तीय स्थिति पर नजर रखी जाती है। मौजूदा समय में सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंक पीसीए फ्रेमवर्क के दायरे में हैं। केंद्र सरकार 17 मई को इनमें से कुछ बैंकों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि इनके खिलाफ भी देना बैंक की तर्ज पर कार्रवाई करने के पूरे आधार मौजूद हैं। आईडीबीआई बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, बैंक ऑप इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑप इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक भी पीसीए के अंतर्गत हैं। बैंकों को पीसीए में डालने से पहले कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो (पूंजी पर्याप्तता अनुपात) और आरओए पर विशेष ध्यान रखा जाता है।