इस मस्जिद में 35 साल से मुसलमानों का रोजा खुलवाते आ रहे हैं सिंधी
रमजान का पवित्र महीना गुरुवार (17 मई) से शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के लोग लगातार एक महीने तक रोजा पर रहेंगे। समुदाय के लोग इबादत के साथ शाम को इफ्तार के वक्त रोजा खोलते हैं। इस दौरान मस्जिदों में आमतौर पर सामूहिक तौर पर इफ्तार किया जाता है। चेन्नई के ट्रिप्लीकेन इलाके में स्थित वल्लाजाह मस्जिद सांप्रदायिक सौहार्द का जीता-जागता नमूना है। सिंधी लोग यहां पिछले 35 वर्षों से लगातार रोजेदारों का रोजा खुलवाते आ रहे हैं। ‘स्क्रॉल डॉट इन’ के अनुसार, 220 साल पुराने इस मस्जिद के गेट पर शाम की इबादत के वक्त रोजाना 50 से ज्यादा लोग चुपचाप खड़े रहते हैं। कुछ देर बाद एक ट्रक आता है और ये लोग बिना वक्त गंवाए उससे हलुआ, बिस्किट, केला और वडा उतारने में जुट जाते हैं। सूफीदार ट्रस्ट से जुड़े सिंधी समुदाय के लोग बिना वक्त गंवाए मस्जिद में इकट्ठा लोगों का रोजा खुलवाने में लग जाते हैं। ट्रस्ट पिछले 35 वर्षों से ऐसा करता आ रहा है। यह ट्रस्ट दादा रतनचंद के सिद्धातों और उपदेशों का अनुसरण करते हैं। देश के विभाजन के बाद सिंधी शरणार्थी यहां बस गए थे। ट्रस्ट का उद्देश्य रोहड़ी, सिंध के सूफी संत शहंशाह बाबा नेभराज साहिब के विचारों प्रचार-प्रसार करना है।
स्थापना से ही ट्रस्ट से जुड़े गोविंद भरवनी ने बताया कि उनलोगों का मानना है कि ईश्वर एक है, लोगों ने इसे विभिन्न पंथों में बांट दिया है। समुदाय से जुड़े जयकिशन कुकरेजा ने कहा, ‘बंटवारे के वक्त मेरे दादा सिंध से सीधे बांबे (अब मुंबई) पहुंचे थे। उसी वक्त रेलवे स्टेशन पर चेन्नई जाने वाली ट्रेन की घोषणा की गई थी। उस वक्त मेरे चाचा चेन्नई में ही रह रहे थे। ऐसे में हम सब चेन्नई आ गए। मेरे पिता गोदाम स्ट्रीट (सेंट्रल चेन्नई) में दूसरे राज्यों से लाए गए कपड़ों को बेचने का काम करते हैं।’ सिंधी समुदाय के लोगों को यह नहीं पता कि उनके आध्यात्मिक गुरु ने इसी मस्जिद को क्यों चुना, लेकिन उनका मानना है कि यह परंपरा है, जिसका पालन किया जाना चाहिए। ट्रस्ट के लोग इसे सेवा बताते हैं। रमजान के दौरान मस्जिद में एक हजार से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग जुटते हैं।