भारतीय सेना की नौकरी छोड़ना चाहता है पाकिस्तानी जेल में 4 महीने बिता चुका यह जवान
भारतीय सेना के जवान सिपाही चंदू चव्हाण आपको याद हैं? 18 महीने पहले वह लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार करके पाकिस्तान पहुंच गए थे। वहां उन्हें बंदी बना लिया गया और उन्हें चार महीने कैद में गुजारने पड़े। फिलहाल मिलिट्री हॉस्पिटल में निगरानी में रखे गए चंदू ने भारतीय सेना छोड़ने की इच्छा जताई है। द हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चंदू ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर वक्त से पहले सेवा छोड़ने की इच्छा जताई है।
बता दें कि 29 सितंबर 2016 को 24 साल के चव्हाण पाकिस्तान पहुंच गए थे। इसी दिन भारतीय सेना ने एलओसी के पार आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इससे ठीक 11 दिन पहले, कश्मीर के उरी में संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकियों ने आर्मी कैंप पर हमला किया था। इसमें 19 जवान शहीद हो गए थे।
पाकिस्तान पहुंचने के चार महीने बाद चंदू को वापस भारत को सौंपा गया था। भारत लौटने के बाद चंदू ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का सामना किया। उन्हें बिना सीनियरों को सूचित किए हथियार के साथ कैंप छोड़ने की सजा भी मिली। बाद में उन्हें अहमदनगर स्थित आर्म्ड कॉर्प्स सेंटर एंड स्कूल भेज दिया गया। तीन हफ्ते पहले चंदू को उनकी यूनिट ने मिलिट्री अस्पताल भेज दिया।
वजह बताई गई कि बर्ताव से जुड़ी समस्याओं के लिए उन्हें ‘निगरानी में रखे जाने’ की जरूरत है। चंदू ने कहा, ‘मैं यहां मिलिट्री हॉस्पिटल के मनोचिकित्सा विभाग में बीते 20 से हूं। तीन दिन पहले, मैंने अपने सीनियरों को चिट्ठी लिखकर दरख्वास्त की है कि मुझे ड्यूटी से मुक्त किया जाए। कुछ वक्त पहले मेरे साथ जो हुआ, वो मुझपर बहुत भारी पड़ा है।’
चंदू के मुताबिक, सेना की जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद वह सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। सेना के अस्पताल के सूत्रों की मानें तो चव्हाण के कुछ टेस्ट हुए थे, जिनमें रिपोर्ट सामान्य आई थी। बताया गया कि एक-दो दिनों के भीतर सिपाही चंदू को यहां के छुट्टी दे दी जाएगी।