केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- अवैध रोहिंग्या से देश की सुरक्षा को खतरा, कोर्ट मामले में दखल न दे
केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में संवैधानिक अधिकारी देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का जवाब दाखिल किया। अपने जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में नागरिक की सुविधा देना गैर-कानूनी है। केंद्र का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनका भारत में रहना सही नहीं है। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।
वहीं हाल ही में रोहिंग्या मुसलमानों का पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने खुलकर समर्थन किया था और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान इंसान हैं न की आतंकवादी और सरकार को इनकी मदद करनी चाहिए। वहीं भारत सरकार द्वारा देश से रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की कोशिशों की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने कड़े शब्दों में निंदा की थी। हुसैन ने कहा था कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के कतई भी अनुरूप नहीं है।
गौरतलब है कि बीते अगस्त (2017) महीने से हिंसा के कारण म्यांमार से बड़ी तादाद में रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है। म्यांमार में 25 अगस्त को भड़की हिंसा के दो हफ्तों के भीतर 400 लोगों के मारे जाने की खबर थी। म्यांमार में करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। रोहिंग्या मुसलमान खुद को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या भाषा में बात करते हैं जो बांग्लादेश की बांग्ला से काफी मिलती-जुलती है। वहीं म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। म्यांमार में बहुत से लोग रोहिंग्या को अवैध प्रवासी मानते हैं। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या को राज्य-विहीन मानती है और उन्हें नागरिकता नहीं देती। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसे प्रतिबंधों में आवागमन, मेडिकल सुविधा, शिक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल है। हालांकि ताजा विवाद के बाद म्यांमार की काउंसलर और नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की ने कहा था कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करेगी। कट्टरपंथी बौद्ध संगठनों और कट्टरपंथी रोहिंग्या मुसलमानों के बीच कई बार खूनी झड़प हो चुकी है।