न स्ट्रेचर मिला न शव वाहन, लड़खड़ाते हुए जमीन पर रखते-रखते भाई की लाश को ढोया

मध्य प्रदेश के छतरपुर के जिला अस्पताल में एक अमानवीय घटना सामने आई। लू लगने का इलाज कराने आए एक शख्स की इलाज के दौरान मौैत हो गई। मृतक की लाश ले जाने के लिए जब उसके परिजनों ने अस्पताल से शव वाहन की मदद मांगी तो कथित तौर पर टालामटोली कर दी गई। नतीजतन घंटों इंतजार करने के बाद दो भाई लाश को कंधे पर ढोने के लिए मजबूर हुए। लाश को ढोकर ले जाते हुए जब शोकग्रस्त भाइयों पर मीडिया के कैमरों की नजर पड़ी को मामला उजागर हो गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के भाइयों ने बताया कि अस्पताल से पर्ची कटाने के बाबजूद शव वाहन के लिये घंटों इन्तजार करते रहे। शव वाहन वालों से फोन पर कई दफा बात भी हुई, लेकिन हर बार वे थोड़ी देर में आने की बात कहकर फोन काट देते हैं। पीड़ितों के मुताबिक एक अन्य व्यक्ति ने आकर उन्हें 1500 रुपये में शव ले जाने का प्रस्ताव दिया, जो कि बाद में 1200 रुपये में राजी हुआ, लेकिन पैसे न होने के कारण उसकी सेवा नहीं ले सके।

मृतक के भाइयों चतरा अहिरवार और दीना अहिरवार ने बताया कि वे जिले के सटई थाना क्षेत्र के नंदगांय के रहने वाले हैं, लू लगने की वजह से उनके भाई रजुआ अहिरवार को पहले सटई अस्पताल और फिर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज को 3 इजेंक्शन लगाए गए थे, लेकिन इलाज के दौरान उसकी जान चली गई। अस्पताल की कथित कुप्रबंधन और अमानवीयता की खबर मीडिया में आने बाद शव वाहन का इंतजाम किया गया और घर तक लाश पहुंचाई गई।

स्थानीय मीडिया में अस्पताल की अव्यवस्था और वहां कथित तौर पर सक्रिय दलालों की खबरें भी जोर पकड़ती दिख रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिला अस्पताल में एक निजी संस्था समर्पण क्लब सरकारी शव वाहनों सेवा देती है। समर्पण क्लब के सचिव सुभाष अग्रवाल ने मामले पर संवेदना जताते हुए कहा कि मामला चाहे जो भी हो पर मामला देख इतना तो तय है कि बुंदेलखंड के हालात बद से बदतर हो चले हैं।

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