बंगले पर ड्रामा: अखिलेश बोले- घर नहीं बना पाया, लखनऊ में किराए पर फ्लैट ढूंढ रहा हूं

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवान सरकारी आवास देने का कानून सुप्रीम कोर्ट ने धराशायी कर दिया है। लेकिन फिर भी ये माननीय अपने विशाल बंगलों में रहने का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बंगला छोड़ने पर मंगलवार (22 मई) को बयान दिया। उन्होंने कहा,”मैंने बंगला खाली करने के लिए सरकार से वक्त मांगा है ताकि मैं कोई किराए का मकान ढूंढ सकूं या फिर अपना खुद का घर बना सकूं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते 7 मई को यूपी सरकार के उस प्रावधान को खत्म कर दिया था जो पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने की सिफारिश करता है। यूपी सरकार के उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य नियम) एक्ट, 1981 के प्रावधान को खत्म किया था। सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की खंडपीठ ने ये मामला सुना था। केस की सुनवाई करने वाले जजों में जस्टिस रंजन गोगोई और आर. भानुमती शामिल थे। सुनवाई के बाद जजों ने अपने फैसले में लिखा था कि मुख्यमंत्री भी आम इंसान ही हैं। एक बार वह अपने पर से हट जाते हैं तो उन्हें जनता के पैसे पर ‘विशेष श्रेणी का माननीय’ नहीं बनाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोटिस यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह, सपा नेता मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और बसपा सुप्रीमो मायावती को भेज दिया गया। आदेश जारी होने के बाद मायावती के निवास के बाहर एक बोर्ड लगाया गया। बोर्ड में लिखा था कि ‘श्री कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल’। बसपा के एक अधिकारी ने बताया कि ये कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि बंगले से बसपा के संस्थापक माननीय कांशीराम जी की कई यादें जुड़ी हुई हैं। बंगले के भीतर उनकी प्रतिमा भी लगी हुई है।

अखिलेश यादव का बंगला लखनऊ के 4, विक्रमादित्य मार्ग पर स्थित है। ये बंगला उन्हें विधानसभा चुनावों से कुछ पहले ही सजा—संवारकर जारी किया गया था। कई रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश यादव का बंगला किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को जारी किया गया सबसे महंगा बंगला है। जबकि मुलायम सिंह यादव पिछले 27 सालों से अपने सरकारी आवास 5, विक्रमादित्य मार्ग पर रह रहे हैं।

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