लगातार 11वें दिन बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, नितिन गडकरी ने दाम घटने से किया इंकार
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतोें से आम आदमी भले ही कराह रहा हो, लेकिन फिलहाल इससे कोई राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार ने लगातार 11वें दिन पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की है। दिल्ली में पेट्रोल की वर्तमान कीमत 76.87 रुपये प्रति लीटर है जबकि डीजल की कीमत 68.08 रुपये प्रति लीटर है। सरकार ने साफ संकेत दिया है कि पेट्रोल डीजल के दाम कम नहीं किए जा सकते हैं। केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता नितिन गडकरी ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में सब्सिडी को बढ़ावा देना सरकार की समाज कल्याण की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में बुधवार (23 मई) को कहा,” ये न टाली जा सकने वाली आर्थिक स्थिति है। ये बात सीधे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है। अगर हम पेट्रोल और डीजल को सस्ता बेचते हैं तो इसका मतलब है कि हमें इसे ऊंचे दामों पर खरीदकर उस पर देश में भारी सब्सिडी देनी होगी।”
गडकरी ने साफ कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर सब्सिडी देने के लिए हमें सिंचाई योजनाओं, गांवों तक फ्री एलपीजी देने की उज्जवला योजना, ग्रामीण विद्युतीकरण प्रकिया, लोन के लिए मु्द्रा योजना और अन्य कई योजनाओं को बंद करना पड़ेगा। गडकरी ने कहा,”हम 10 करोड़ परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना पर काम कर रहे हैं। फसल बीमा योजना पर भी काम चल रहा है। हमारे पास सीमित पैसा है। अगर हमने पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी तो तो सब गड़बड़ हो जाएगा।”
जब नितिन गडकरी से सवाल किया गया कि पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स की कटौती करके जनता को राहत दी जा सकती है। इस पर उन्हेांने कहा,”ये हमारी अर्थव्यवस्था की नींव है। अगर इस बारे में कोई फैसला लिया जाता है, तो ये बात हमारे वित्त मंत्री तय करेंगे।” वैकल्पिक ईंधन के इस्तेमाल के सवाल पर उन्होंने कहा,”सरकार मेथानॉल, एथेनॉल, बायो डीजल, ई—वाहन जैसी योजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। ये सारे विकल्प किफायती और प्रदूषण मुक्त विकल्प हैं।”
देश में तेल कीमतों की बढ़ती रफ्तार का कारण बताते हुए गडकरी ने कहा,” हमारे देश में तेज जरूरतों का सिर्फ 30 फीसदी ही हम खनन करते हैं। बाकि 70 प्रतिशत तेल हमें आयात करना पड़ता है। इसलिए हम अपने आयात की कीमतों को कम करने की दिशा में लगे हुए हैं। हम दुनिया में कई जगह तेल क्षेत्रों पर अधिग्रहण करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। जैसा अभी हमने रूस में किया है। लेकिन स्वाभाविक बात है कि हमारे पास देश की 70 प्रतिशत आयात की जाने वाली वस्तु की पूर्ति करने के लिए पैसे नहीं हैं।”