अरविंद केजरीवाल सरकार की मुफ्त पानी देने की योजना पर दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सबल उठाते इसकी आलोचना की

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (24 मई) को अरविंद केजरीवाल सरकार की नीति की आलोचना की। घरेलू उपयोग के लिए 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने की योजना पर सवाल खड़ा करते हुए अदालत ने कहा कि किसी को मुफ्त में कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, ”किसी को कुछ भी मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए। 10 पैसे लें या एक पैसा। कुछ भी मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए सिवाय उनके जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत हो , जैसे गरीब।” अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब वरिष्ठ वकील और न्याय मित्र राकेश खन्ना ने इस तथ्य की ओर उसका ध्यान दिलाया।

दिल्ली सरकार और उसके जल बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन ने नीति का बचाव करते हुए कहा कि इससे पानी का संरक्षण सुनिश्चित हुआ है क्योंकि मुफ्त उपयोग के लिए 20 हजार लीटर की सीमा है। पीठ ने हालांकि कहा कि ऐसे लोग हैं जिन्होंने स्वीकृत सीमा से ऊपर कई मंजिल अवैध तरीके से बनवा लिया है। ऐसे लोग भी मुफ्त पानी का लाभ उठा रहे हैं जबकि वे इसके लिए भुगतान करने में सक्षम हैं। पीठ ने कहा कि अगर स्लम बस्तियों में रहने वाले लोगों को यह राहत मिलती तो इसे समझा जा सकता था।

अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड से सवाल किया किया कि भूमिगत जल के उपयोग के नियमन के लिए क्या उसके पास कोई नीति है क्योंकि निजी कंपनियां इसका दोहन कर रही हैं। बोर्ड ने कहा कि ऐसी नीतियां पहले से ही हैं। बोर्ड ने पीठ से कहा कि वह अगली सुनवाई के दिन यानी 23 जुलाई को इसे पेश करेगा।

दूसरी तरफ, हरियाणा ने अदालत को बताया कि उसने दिल्‍ली जल बोर्ड द्वारा दिए गए 28.16 करोड़ रुपये के चेक भंजा लिए हैं जिनसे दिल्‍ली सब-ब्रान्‍च कैनाल (DSBC) की रिपेयरिंग होनी है। मुनक नहर के अलावा इस नहर से राष्‍ट्रीय राजधानी को पानी पहुंचाया जाता है। हरियाणा ने कहा कि उसने मरम्‍मत के लिए टेंडर निकाल दिए हैं जो जून में खुलेंगे और इसके चार महीने बाद काम पूरा होने की उम्‍मीद है। समझौते के अनुसार, हरियाणा को हर दिन मुनक नहर में 719 क्‍यूसेक तथा DSBC के लिए 330 क्‍यूसेक पानी छोड़ना है।

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