चुनावी गठबंधन पर बसपा सुप्रीमो की दो टूक- ‘सम्मानजनक’ सीटें मिलने पर ही होगा समझौता
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने शनिवार (26 मई) को कहा कि पार्टी किसी भी राज्य में और किसी भी चुनाव में किसी पार्टी के साथ केवल ‘‘सम्मानजनक’’ सीटें मिलने पर ही कोई चुनावी गठबंधन-समझौता करेगी। बसपा अध्यक्ष लखनऊ में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आज आयोजित पार्टी की अखिल भारतीय बैठक को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि पार्टी किसी भी राज्य में और किसी भी चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ केवल ‘‘सम्मानजनक’’ सीटें मिलने पर ही वहाँ उस पार्टी के साथ कोई चुनावी गठबन्धन-समझौता करेगी अन्यथा हमारी पार्टी अकेली ही चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर समझती है।
मायावती ने कहा,‘‘ हालांकि इस मामले में हमारी पार्टी की उत्तर प्रदेश सहित कई और राज्यों में भी गठबन्धन करके चुनाव लड़ने की बातचीत चल रही है, लेकिन फिर भी आप लोगों को हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिये अपने-अपने प्रदेश में पार्टी के संगठन को हर स्तर पर तैयार करना है।” मायावती ने कहा, ‘‘अभी मैं अगले लगभग 20-22 वर्षों तक खुद ही आगे और सक्रिय रहकर पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाती रहूँगी और अब ऐसे में अगले लगभग 20-22 वर्षों तक पार्टी में किसी को भी पार्टी का मुखिया बनने का सपना नहीं देखना चाहिये और न ही किसी को अभी मेरा उत्तराधिकारी बनने का भी सपना देखना चाहिये।”
उन्होंने कहा,‘‘ मैं पार्टी कार्यकर्ताओ का ध्यान जल्द ही लोकसभा के होने वाले आम चुनाव की तरफ तथा इससे पहले देश के कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तरफ भी दिलाना चाहती हूँ। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने के मामले में भाजपा की किरकिरी होने की वजह से अब यह पार्टी समय से पहले भी लोकसभा के आम चुनाव करा सकती है।’’ मायावती ने अपनी पार्टी के संविधान में कुछ जरूरी फैसले लिये जाने की जानकारी देते हुए बताया, ‘‘मुझे खुद को भी मिलाकर तथा मेरे बाद अब आगे भी बसपा का जो भी ‘‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’’ बनाया जायेगा तो फिर उसके जीते-जी व ना रहने के बाद भी उसके परिवार के किसी भी नजदीकी सदस्य को पार्टी संगठन में किसी भी स्तर के पद पर नहीं रखा जायेगा अर्थात उनके परिवार के सदस्य बिना किसी पद पर बने रहकर और एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में ही केवल अपनी नि:स्वार्थ भावना के साथ ही पार्टी में कार्य कर सकते है।”
मायावती ने कहा कि ”इसके अलावा उनके परिवार के किसी भी नजदीकी सदस्य को ना कोई चुनाव लड़ाया जायेगा तथा ना ही उसे कोई राज्यसभा सांसद, एम.एल.सी.और मंत्री आदि भी बनाया जायेगा और ना ही उसे अन्य किसी भी राजनैतिक उच्च पद पर रखा जायेगा। लेकिन पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को छोड़कर बाकी अन्य सभी स्तर के पदाधिकारियों के परिवार के लोगों पर ’’विशेष परिस्थितियों में’’ यह सब शर्तें लागू नहीं होगी।”