7 जून को RSS के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी!

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के हैवीवेट नेताओं में शामिल रहे प्रणब मुखर्जी आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक अहम बैठक को संबोधित कर सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इंदिरा गांधी युग के बाद खांटी कांग्रेसियों में शुमार रहे प्रणब मुखर्जी को आरएसएस ने 7 जून को अंतिम वर्ष के स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है। इस दौरान देश भर से 45 साल से कम उम्र के लगभग 800 स्वयंसेवक मौजूद रहेंगे। बता दें कि कांग्रेस और आरएसएस की विचारधारा हमेशा से विपरित रही है। आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में हर साल ये कार्यक्रम होता आया है। पहले इस कार्यक्रम का नाम ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स था। लेकिन अब इसका नाम बदलकर संघ शिक्षा वर्ग रख दिया गया है। इस कोर्स को पास करने के बाद आरएसएस के स्वयंसेवक पूर्णकालिक प्रचारक बन सकते हैं। इसके बाद ये प्रचारक आजीवन देश में संघ की विचारधारा पर काम करते हैं।

बता दें कि जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे तो आरएसएस चीफ मोहन भागवत एक बार उनसे मिलने पहुंचे थे। नागपुर में आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इसकी आधिकारिक घोषणा उचित समय पर की जाएगी। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि प्रणब मुखर्जी को न्योता भेजा गया है। दो दिन पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी आरएसएस मुख्यालय पहुंचीं थीं। यहां पर उन्होंने तृतीय वर्ष के ट्रेनी स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इसके अलावा उन्होंने आरएसएस के जनरल सेक्रेटरी भैया जी जोशी से मुलाकात की।

बता दें कि 82 साल के प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के बड़े शख्सियत रहे हैं। कांग्रेस से उनका जुड़ाव 1969 से रहा है। तब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राज्यसभा में चुने जाने में उनकी मदद की थी। प्रणब मुखर्जी जल्द ही इंदिरा गांधी विश्वासपात्रों की सूची में आ गये। वे 1982-84 के बीच केन्द्रीय वित्त मंत्री बने। हालांकि इंदिरा की हत्या के बाद वे पार्टी में अलग-थलग पड़ गये। एक समय में उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार भी माना जाता था। 1986 में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी बनाई थी। 1989 में जब में कांग्रेस में आए तो उनकी पार्टी का भी कांग्रेस में विलय हो गया। 2012 तक वह कांग्रेस संकटमोचक रहे। वह 2012 से लेकर 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे।

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