तूतीकोरिन संयंत्र से प्रदूषण को लेकर दायर याचिका की सुनवाई सप्रीम कोर्ट ने टाली
उच्चतम न्यायालय ने तूतीकोरिन में स्टरलाइट के तांबा पिघलाने के संयंत्र के आसपास भूजल में आर्सेनिक और कैडमियम प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयासों के बारे में तमिलनाडु सरकार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई से आज इंकार कर दिया। वेदान्ता समूह द्वारा संचालित स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के इस संयंत्र को बंद करने की मांग को लेकर तूतीकोरिन में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की फायरिंग में कम से कम 13 व्यक्ति मारे गये हैं और सैकड़ों जख्मी हुये हैं। स्थानीय लोग कथित प्रदूषण से स्वास्थ संबंधी अनेक परेशानियों और गिरते हुये भूजल स्तर को लेकर यह संयंत्र बंद करने की मांग कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतागौडार की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई में सामान्य प्रक्रिया में सुनवाई की जायेगी। पीठ ने इस पर शीघ्र सुनवाई करने से इंकार कर दिया। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता पी शिव कुमार ने अपने वकील एन राजारमण के माध्यम से दायर की है। उन्होंने पुलिस और दूसरे लोगों के बीच होने वाली झड़प में मारे गये लोगों की सूचना दर्ज करने संबंधी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दिशानिर्देशों पर अमल के संदर्भ में तूतीकोरिन पुलिस की फायरिंग में 22 और 23 मई को 13 व्यक्तियों की मृत्यु को दर्ज करने के बारे में भी स्थित रिपोर्ट पेश करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
पिछले सप्ताह अधिवक्ता जी एस मणि ने भी तमिलनाडु में स्टरलाइट के खिलाफ आयोजित रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की मृत्यु की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका में तूतीकोरिन के कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या के कथित अपराध के लिये प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।