कांग्रेस नेता ने प्रणब मुखर्जी को लिखा पत्र, कहा – मत जाइए आरएसएस के कार्यक्रम में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम में 7 जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने की खबरों को लेकर कांग्रेस ने भले चुप्पी साध रखी हो लेकिन पार्टी नेताओं ने मुखर होकर इसका विरोध शुरू कर दिया है। मुखर्जी के नागपुर दौरे के खिलाफ पूर्व सांसद संदीप दीक्षित की तल्ख टिप्पणी के बाद अब केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने भी पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनसे आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की है। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि उनके आरएसएस मुख्यालय जाने की खबरों से कांग्रेस में भारी नाराजगी है।
आरएसएस ने मुखर्जी को आगामी सात जून को होने वाले अपने संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह के लिए बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। खबरों के मुताबिक मुखर्जी ने इस न्योते को स्वीकार कर लिया है। इसको लेकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप ने मंगलवार को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी सांप्रदायिकता व हिंसा को लेकर आरएसएस पर सवाल खड़े कर चुके हैं। अब अगर वह आरएसएस के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्होंने अपनी विचारधारा बदल ली है। उन्होंने इस मामले में और भी तल्ख बातें कहीं। लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा कि फिलहाल इस मामले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। इस कार्यक्रम को होने दीजिए। उसके बाद हम कुछ कह सकेंगे।
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने बुधवार को प्रणब दा को एक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा कि एक सांप्रदायिक संगठन के कार्यक्रम में जाने के आपके फैसले से देश के धर्मनिरपेक्ष सोच वाले लोगों को तगड़ा झटका लगा है। आरएसएस की हिंदू राष्ट्र की विचारधारा कांग्रेस की पंथनिरपेक्षता व प्रजातंत्र की विचारधारा के ठीक उलट है। कांग्रेस नेता ने मुखर्जी को लिखा है कि आप कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में एक होने के साथ देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को अक्षÞुण्ण रखने वाले नेताओं में भी शुमार किए जाते हैं। ऐसे में आपके नागपुर जाने के फैसले से कांग्रेस में भारी नाराजगी है।
उन्होंने दलील दी कि एक ओर आरएसएस आजादी के आंदोलन में कांग्रेस के नेताओं के योगदान को कम करने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी ओर देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में पंथनिरपेक्षता के दूत के तौर पर पहचान कायम करने वाले व्यक्ति का आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं होगा। उन्होंने मुखर्जी से अपील की है कि उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।