‘आंखों पर पट्टी डाली, हाथ बांधे, कलम कर दिया सिर’, सामने आई रोहिंग्या आतंकियों की हिंदुओं पर जुल्म की कहानी

ऐसे वक्त में जब पूरे देश में रोहिंग्या शरणार्थियों को देश से बाहर निकालने की गुपचुप बहस चल रही है। उसी वक्त ऐसी खबरें भी आईं थीं जिनमें ये बताया गया कि रोहिंग्या लोगों ने 99 हिन्दू औरतों, बच्चों और आदमियों को अगस्त 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में निर्मम तरीके से मार दिया था। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रोहिंग्या मुस्लिमों के हिन्दुओं पर किए अत्याचारों पर एक रिपोर्ट मंगलवार (29 मई) को जारी की है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अरकान रोहिंग्या मुक्ति सेना (अरसा) ने उत्तरी मौंगदो कस्बे के अह नौक खा मौंग सेक गांव में रहने वाले हिंदू समुदाय के घरों पर 26 अगस्त 2017 को हमला किया था। हमले में उन्होंने 6 हिन्दुओं को मारा था, जिनमें एक आदमी, तीन बच्चे और दो औरतें थीं। ये दो औरतें मौंगदो कस्बे में ही पास के गांव म्यो थू गी की रहने वाली थीं।

काले कपड़े में आए थे आतंकवादी : रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादियों के हमले से सुरक्षित बचने वाली 25 साल की कोर मोर ला ने एमनेस्टी को खुद पर हुए सारे जुल्मों के बारे में बताया है। उसने बताया,”काले कपड़े पहने लोगों ने हम पर गोलियां चलाईं। मैंने उनके चेहरे नहीं देखे, सिर्फ आंखें देखी हैं। उनके पास लंबी बंदूकें और तलवारें थीं। मेरे बगल में खड़े मेरे पति को गोली मार दी गई। मुझे सीने पर गोली लगी थी। इसके बाद मैं बेहोश होकर गिर पड़ी।

आठ लड़कियों को ले गए बांग्लादेश: अरसा के आतंकवादी जबरन 8 लड़कियों को अपने साथ बांग्लादेश उठा ले गए थे। उन्हीं में से एक 22 साल की बीना बाला ने एमनेस्टी को बताया,”सुबह का वक्त था, मैं पूजा कर रही थी। वे लोग हमारे घर आए। उनमें से कुछ ने काले कपड़े पहने हुए थे जबकि कुछ लोग सादे कपड़ों में थे। ये हमारे गांव के थे मैं उन्हें पहचान गई। उन लोगों ने आते ही मोबाइल फोन जब्त कर लिए और हमें आंगन में खड़े होने के लिए कहा। उस आदमी के हाथ में चाकू और लोहे की रॉड थी। उन्होंने हमारे हाथ पीछे बांध दिए और आंख पर पट्टी बांध दी। मैंने उनसे पूछा क्या कर रहे हो? उन्होंने जवाब दिया कि तुम हिंदू और रखाइन (बौद्ध) एक जैसे हो, तुम काफिर हो, तुम यहां नहीं रह सकते हो। उन्होंने हमें मारा—पीटा और हमारा सोना, पैसा छीन लिया।”

नहीं मिला भागने का मौका: रोहिंग्या आतंकवादियों से बचने वाली 24 साल की रिका धर अभी तक सदमे में हैं। रिका ने एमनेस्टी को बताया,”हमें भागने का भी मौका नहीं मिला सका। मेरी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उन्होंने हमारे हाथ पीछे बांध दिए थे।” रिपोर्ट के मुताबिक,”हिंदू गांव वालों की आंखों पर पट्टी बांधने के बाद रोहिंग्या आतंकवादी उन्हें खाड़ी के बाहरी इलाके के गांवों में ले गए। उन्होंने आदमियों, औरतों और बच्चों को अलग कर दिया। महिलाओं को लेकर वह घने जंगलों में चले गए।

जबरन कबूल करवाया इस्लाम: एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, रोहिंग्या आतंकवादियों ने अह नौक खा मौंग सेक गांव के 53 हिन्दुओं की हत्या की है। ये आंकड़ा इस हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत के बाद सामने आया है। मरने वालों में 20 आदमी, 10 औरतें और 23 बच्चे हैं, जिनमें 8 की उम्र 14 साल से कम थी। सिर्फ 16 लोग ही बच सके, जिनमें 8 औरतें और उनके आठ बच्चे थे। उनकी जिंदगी सिर्फ इस शर्त पर बख्श दी गई कि वह हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल करेंगी और उन्हें चुनने वाले रोहिंग्या आतंकवादियों से शादी करेंगी।”

मार डाला पूरा परिवार: सभी आठ सुरक्षित बची महिलाओं ने बताया,”रोहिंग्या आतंकवादी उनके आदमियों को उनसे अलग ले गए और चाकुओं से गोदकर कत्ल कर दिया। उनके हाथ खून से रंगे हुए थे। हमने झाड़ियों की ओट से थोड़ा ही देखा था। उनकी चीखें हमारे कानों में गूंज रही हैं। मेरे चाचा, मेरे पिता, मेरा भाई सभी मेरी आंखों के सामने मार दिए गए। आदमियों को कत्ल करने के बाद उन्होंने बूढ़ी और उम्रदराज महिलाओं को भी मार डाला।” प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कातिलों ने महिलाओं के सिर के बाल पकड़ लिए और चाकू से उनकी गर्दन काट दी।

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