मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए धार्मिक लंगरों और प्रसाद पर से जीएसटी हटाया

केन्द्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया है कि धार्मिक लंगरों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा। बता दें कि अभी तक लंगरों और प्रसाद पर जीएसटी लगता था। लेकिन अब सरकार ने इसे हटाने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने से पहले भी लंगर और प्रसाद के लिए खरीदे जाने वाले कच्चे सामान पर कोई टैक्स नहीं लगता था। लेकिन पिछले साल 1 जुलाई से लागू हुए जीएसटी में लंगर और प्रसाद के सामान को भी शामिल कर लिया गया था, जिसके लिए सरकार को आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। यही वजह है कि सरकार ने अब लंगर और प्रसाद पर लगने वाला जीएसटी हटाने का फैसला किया है। सरकार के ताजा फैसले से स्वर्ण मंदिर समेत देश के सभी गुरुद्वारों, मंदिरों समेत सभी धार्मिक संस्थानों को बड़ी राहत मिलेगी।

इससे पहले सरकार ने जीएसटी लागू करते समय ऐलान किया था कि धार्मिक संस्थानों को सप्लाई होने वाला खाना जीएसटी से मुक्त रखा जाएगा, लेकिन सरकार ने लंगर या प्रसाद के कच्चे सामान जैसे सब्जियां, तेल और चीनी आदि पर जीएसटी लगाने का फैसला किया था। अब सरकार ने कच्चे सामान से भी जीएसटी हटाने का फैसला किया है। बता दें कि सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल सरकार को जीएसटी के माध्यम से 94,016 करोड़ रुपए का टैक्स मिला है, जो कि पिछले वर्ष के 90,000 करोड़ रुपए के मुकाबले ज्यादा है। वित्त मंत्रालय के दिए आंकड़ों के अनुसार, 15,866 करोड़ रुपए CGST, 21,691 करोड़ रुपए SGST, 49,120 करोड़ रुपए IGST(जिसमें आयात के 24,447 करोड़ और 7,339 करोड़ रुपए का सेस भी शामिल है) से मिले हैं।

गौरतलब है कि सरकार अभी तक धार्मिक संस्थानों से लिए गए जीएसटी में से केन्द्र का हिस्सा और आइजीएसटी को वापस करेगी। वहीं गुरुद्वारों पर जीएसटी का सबसे ज्यादा भार पड़ा था। जिसके बाद दबाव के चलते पंजाब की अमरिंदर सरकार ने अपने बजट में लंगर पर लगने वाले जीएसटी से राज्य का हिस्सा माफ करने का फैसला किया था। इसके बाद केन्द्र सरकार पर भी दबाव था कि वह धार्मिक संस्थानों को जीएसटी के दायरे से बाहर करे। अब सरकार ने यह फैसला लेकर सभी धार्मिक संस्थानों को बड़ी राहत दी है।

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