दिल्ली: आप, कांग्रेस मिल कर 2014 जैसी मोदी लहर के बाद भी बना सकती हैं 7 में से 6 सांसद
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच संभावित सियासी दोस्ती की चर्चाओं के पीछे आंकड़ों का मजबूत आधार है। अगर 2014 के आम चुनाव के आंकड़े देखें जाएं तो दोनो पार्टियां मिलकर प्रचंड मोदी लहर को भी शिकस्त दे सकती हैं। 2014 में बीजेपी ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था। लेकिन अगर 2014 के ही डाटा में से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट शेयर को मिला दें तो ये आंकड़ा बीजेपी को पीछे छोड़ देता है। 2014 के चुनावी आंकड़ों के मुताबिक अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिल जाएं तो दिल्ली की 7 में से 6 सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं। इस गठबंधन के सामने मोदी लहर भी फीका साबित होगा। आंकड़ों का गणित कम से कम ऐसा ही कहता है। हालांकि ये महज एक सियासी अनुमान है।
अब एक नजर आंकड़ों पर डालिए। चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के डॉ हर्षवर्धन को 4,37,938 वोट मिले थे। जबकि आम आदमी पार्टी के आशुतोष को 3,01,618 और कांग्रेस के कपिल सिब्बल को 1,76,206 वोट मिले। अगर यहां पर कांग्रेस और आप के वोटों को जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 4 लाख 77 हजार 24 हो जाता है, जो निश्चित रूप से बीजेपी से मिले वोटों से ज्यादा है। ऐसा ही गणित दिल्ली की 5 लोकसभा सीटों पर बैठता है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बीजेपी को लगभग 6 लाख वोट मिले थे। जबकि यहां आप को करीब साढ़े 4 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस लगभग 2 लाख बीस हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही। इस सीट पर भी आप और कांग्रेस को मिले वोट बीजेपी के वोटों से ज्यादा हैं। पूर्वी दिल्ली में बीजेपी को 5 लाख 70 हजार वोट मिले थे। यहां पर आप को लगभग 3 लाख अस्सी हजार वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 2 लाख वोट मिले। यहां भी दोनों दलों का वोट बीजेपी के वोट से आगे जा रहा है।
नयी दिल्ली लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस और आप के मिले-जुले वोट बीजेपी के वोटों से ज्यादा हैं। उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर बीजेपी को 6,29,860 वोट मिले थे। यहां पर आप की राखी बिरला को 523058 वोट मिले, जबकि कांग्रेस की कृष्णा को 157468 वोट हासिल हुए। एक बार फिर से आप कांग्रेस के वोट बीजेपी के वोटों से ज्यादा है। दक्षिण दिल्ली में बीजेपी कैंडिडेट को लगभग 5 लाख वोट मिले। यहां पर आप कैंडिडेट को 3 लाख 90 हजार वोट मिले, जबकि कांग्रेस को मिलने वाली वोटों की संख्या लगभग 1 लाख तीस हजार रही। इस सीट पर भी आप-कांग्रेस का आंकड़ा 5 लाख 20 हजार हो जाता है, जो बीजेपी के वोटों से ज्यादा है। ये फार्मूला सिर्फ पश्चिम दिल्ली में कामयाब होता नहीं दिखता है। यहां पर आप कांग्रेस के वोट जोड़ भी जाएं तो ये आंकड़ा बीजेपी को मिले वोटों से कम पड़ता है।