कारगिल संघर्ष खत्म करने को लेकर भारत-पाकिस्तान में हो चुकी थी डील मगर…
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध पर पाकिस्तान की पत्रकार नसीम जेहरा द्वारा एक किताब लिखी गई है। जेहरा ने अपनी किताब ‘फ्रॉम कारगिल टू द कॉप: इवेंट्स दैट शॉक पाकिस्तान’ में दावा किया है कि कारगिल युद्ध को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जून 1999 के अंत में बैकचैनल डिप्लोमेसी के जरिए एक डील लगभग हो चुकी थी।
जेहरा की किताब में कारगिल युद्ध से जुड़ी कई सारी छोटी-छोटी, लेकिन जरूरी जानकारियां हैं। इस किताब में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ के बारे में कई सारी अहम बातें लिखी हुई हैं। जेहरा के मुताबिक कारगिल में पाकिस्तान की तरफ से किए जाने वाले ऑपरेशन के बारे में नवाज शरीफ को ज्यादा जानकारी नहीं थी। यह पूरा ऑपरेशन मुशर्रफ की निगरानी में किया जा रहा था। कारगिल के बारे में नवाज को कब और कहां पता चला, यह सवाल हमेशा से ही चर्चा में रहता आया है। जेहरा ने अपनी किताब में स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के आर्मी जनरल द्वारा इस ऑपरेशन की तैयारियां शुरू किए जाने के करीब 5 महीनों के बाद नवाज को इसके बारे में बताया गया था। कारगिल युद्ध के करीब पांच हफ्ते पहले मार्च 1999 में नवाज शरीफ और भारत के तत्तकालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर भी किए थे।
जेहरा ने अपनी किताब में बताया है कि शरीफ को कारगिल ऑपरेशन के बारे में 17 मई 1999 को बताया गया था, लेकिन यहां भी उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारियां नहीं दी गई थीं। उन्हें यह नहीं बताया गया था कि इस ऑपरेशन में नियमित सैनिक भी शामिल होंगे और ये भी नहीं बताया गया था कि सैनिकों द्वारा पहले ही एलओसी पार की जा चुकी है। उन्हें केवल यह बताया गया था कि कश्मीर ‘मुक्ति का युद्ध’ अपग्रेड किया जा रहा है।