मान्यता है कि रुद्रप्रयाग के इस मंदिर में हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के बीच भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़े तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। इन दिलचस्प प्रसगों को आए दिन भक्तों के बीच में साझा किया जाता रहता है। इसके साथ ही शिव जी से जुड़े हुए धार्मिक स्थल भी बहुत ही विख्यात हैं। इन अलग-अलग स्थलों की अलग-अलग रोचक कहानियां हैं। आज हम आपको शिव जी के एक ऐसे धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहा है जिससे जुड़ी मान्यता है कि यहां पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। जी हां, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में त्रियुगी नारायण मंदिर स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी ऐसी मान्यता है कि यहीं पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। आज हम आपको त्रियुगी नारायण मंदिर और शिव-पार्वती के विवाह के रोचक प्रसंग को बताएंगे।

कहते हैं कि यह प्रसंग सतयुग से जुड़ा हुआ है। पार्वती जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगी नारायण मंदिर के पास उनकी तपस्या की थी। पार्वती ने जिस स्थान पर तपस्या की थी, उसे गौरी कुंड कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस हवन कुंड में आज भी अग्नि जल रही है। वहीं प्रसंग के मुताबिक, पार्वती की कड़ी तपस्या से शिव जी प्रसन्न हुए थे। इसके बाद शिव-पार्वती ने त्रियुगी नारायण मंदिर में विवाह किया था।

रुद्रप्रयाग के त्रियुगी नारायण मंदिर में देशभर से भक्तों की भीड़ लगती है। ऐसा कहा जाता है कि केदारनाथ की यात्रा से पहले यहां पर आना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी काफी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। बता दें कि देशभर से लोग त्रियुगी नारायण मंदिर संतान प्राप्ति का सुख पाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि त्रियुगी नारायण मंदिर में शिव-पार्वती की सच्चे मन से आराधना करने पर दंपति को संतान प्राप्ति होती है।

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