एक महिला ने बयां की गांव के पंडित द्वारा बलात्कार और उसके बाद जुल्म-ओ-सितम की कहानी

मध्य प्रदेश की एक महिला ने अपने साथ हुए दुष्कर्म की कहानी जो बयां की है उसे सुनकर कोई भी दहल उठेगा। देवास की रहने वाली इस महिला ने कुछ साल पहले अपने ऊपर हुए जुल्म-ओ-सितम की कहानी बयां की है। महिला की शादी हो चुकी है और उनकी दो बच्चे भी हैं। कुछ साल पहले पीड़ित महिला अभिनेता आमिर खान के मशहूर शो सत्येमव जयते में भी आई थीं। उस समय भी पीड़ित महिला ने अपने साथ हुई इस वारदात की कहानी सुनाई थी।महिला ने बतलाया कि मई 2011 में एक दिन जब उनके पति घर से बाहर गए हुए थे तभी गांव के पंडित जीवन सिंह ने घर में घुसकर उनके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान पंडित के कुछ सहयोगी घर के बाहर पहरेदारी भी कर रहे थे। शारीरिक यौनाचार के वक्त जब महिला ने पंडित का विरोध किया तो उसने डंडे से हमला कर महिला को जख्मी कर दिया।

इतना ही नहीं दुष्कर्म के बाद आरोपी पंडित ने उसे धमकी भी दी की अगर उसने इस बारे में किसी को भी बतलाया तो वो उसकी जिंदगी बर्बाद कर देगा। दुष्कर्म की वारदात के बाद पीड़ित महिला ने पुलिस के पास जाकर मदद की गुहार लगाई। लेकिन महिला ने बतलाया कि उसके पीछे-पीछे रेप के आरोपी पंडित का भाई भी अपने कुछ लोगों के साथ थाने में पहुंच गया। महिला ने बतलाया कि घायल अवस्था में ही वो कई घंटों तक थाने में बैठी रही लेकिन खाना खा रहे पुलिसवालों ने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, हालांकि बाद में रात 9 बजे पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज किया।

लेकिन इस दौरान पीड़ित महिला के ऊपर आरोप लगे कि वो सेक्स की आदी हैं और इतना ही नहीं उन्हें इसके लिए बैन मेडिकल टेस्ट से भी गुजरना पड़ा। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर देवास जिला अदालत ने आरोपी जीवन सिंह को निर्दोष पाते हुए उसे आजाद कर दिया। हालांकि बाद में पीड़ित युवती ने इंसाफ के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में गुहार लगाई। जहां यह मामला आज भी चल रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि पीड़ित महिला का मेडिकल रिपोर्ट बनाने वाले मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने अपनी रिपोर्ट में लिख दिया है कि महिला सेक्स की आदी है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में महिला की जाति का जिक्र भी किया गया है। महिला के टू फिंगर टेस्ट के बारे में भी इस रिपोर्ट में लिखा गया है।आपको बता दें कि मई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम निर्देश में कहा था कि टू फिंगर टेस्ट महिलाओं के निजता के अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने दुष्कर्म की पुष्टि करने के लिए सरकार को दूसरे मेडिकल उपाय अपनाने का आदेश दिया था.

बतलाया जा रहा है कि जिस वक्त महिला के साथ दुष्कर्म की वारदात हुई उस वक्त उनकी महवारी चल रही थी। इसी वजह से मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हो पाई और आरोपी को बेनिफिट ऑफ डाउट मिला। हालांकि ऐसे मामलों में दोबारा मेडिकल टेस्ट कराया जाना जरूरी माना जाता है। बहरहाल सालों से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे इस परिवार को आज भी उम्मीद है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। हालांकि इस दौरान आरोपी पंडित की गुर्गों ने कई बार महिला के पति से मारपीट की और केस वापस लेने की मांग भी की। लेकिन न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे इस परिवार को इलाके के ही एक गैर सरकारी संस्था की मदद मिली है। जिसकी जरिए फिलहाल छोटे-मोटे काम कर इस परिवार का गुजारा चल रहा है।

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