केंद्रीय मंत्री बोले- लोकतंत्र पर धब्बा है कॉलेजियम, नौकरानी का बेटा जज नहीं बन सकता
उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की मौजूदा कॉलेजियम व्यवस्था पर पिछले कुछ दिनों में लगातार गंभीर सवाल उठाए गए हैं। अब मोदी सरकार के एक मंत्री ने भी कॉलेजियम सिस्टम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने जजों की नियुक्ति की इस व्यवस्था को लोकतंत्र पर धब्बा तक करार दे दिया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने एक कार्यक्रम में कॉलेजियम सिस्टम पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, ‘लोग आरक्षण का विरोध करते हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि आरक्षण के कारण मेरिट की अवहेलना की जाती है, लेकिन मैं समझता हूं कि कॉलेजियम सिस्टम में योग्यता को नजरअंदाज किया जाता है। एक चाय बेचने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है, एक मछुआरे का बेटा वैज्ञानिक और बाद में देश का राष्ट्रपति बन सकता है। लेकिन, क्या एक नौकरानी का बच्चा जज बन सकता है? कॉलेजियम हमारे लोकतंत्र पर धब्बा है।’ उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ सप्ताह पहले ही कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है। इनमें से उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम. जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने को लेकर विवाद गहरा गया था।
People oppose reservation, say it ignores merit but I think collegium ignores merit. A tea-seller can become PM, fisherman’s child can become scientist&later President but can a maid’s child become judge? Collegium’s a blot on our democracy: U Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06) pic.twitter.com/FcsLBpXO9O
— ANI (@ANI) June 6, 2018
According to the attitude of the judiciary, in the present time, judges don’t appoint other judges, they actually appoint their successors. Why do they do that? Why was this made a system to choose successors?: Upendra Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06.2018) pic.twitter.com/rx9DWOYK2K
— ANI (@ANI) June 6, 2018
‘उत्तराधिकारी नियुक्त करते हैं जज’: केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जजों पर अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में जजों के रवैये को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायाधीश दूसरे जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं, बल्कि वे अपने उत्तराधिकारी को नियुक्त करते हैं। उन्हें ऐसा क्यों करना चाहिए? उत्तराधिकारी नियुक्त करने की व्यवस्था क्यों बनाई गई?’ बता दें कि केंद्र सरकार ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन किया था। आयोग को जजों की नियुक्ति के अलावा तबादले का भी अधिकार दिया गया था। इसमें कुल छह सदस्यों की व्यवस्था की गई थी। नियुक्ति आयोग की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने वर्ष 2015 में नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया था। संविधान पीठ में शामिल जजों में से सिर्फ जस्टिस जस्ती चेलामेश्वर ने ही न्यायिक नियुक्ति आयोग का समर्थन किया था।