गीता पाठ करके इनाम जीतने वाली मुस्लिम लड़की को बदलना पड़ा स्कूल, मौलानाओं ने किया मजबूर

गीता पाठ प्रतियोगिता जीतकर खबरों में आई ओडिशा की पांच साल की मुस्लिम लड़की फिरदौस एक बार फिर चर्चा में है। लेकिन इस बार चर्चा की वजह कुछ और है। फिरदौस को अपना स्कूल बदलना पड़ा है। इसके पीछे घरवालों पर स्थानीय मौलवियों का दबाव बताया जा रहा है। सोवानिया शिक्षाश्राम में पढ़ने वाली फिरदौस ने 55 अन्य प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था। परिवारवालों का कहना है कि एक स्थानीय मौलवी ने उसका स्कूल बदलवाने के लिए कहा था। इसके साथ ही लड़की के ज्यादात्तर रिश्तेदार और मौलवियों ने भी फिरदौस के गीता पढ़ने पर नाखुशी जाहिर की थी। इसके साथ ही फिरदौस के पिता, जो कि सऊदी अरब में रहते हैं, उन्होंने भी अपनी पत्नी और भाई को फिरदौस का स्कूल बदलने के लिए कहा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौलवियों का कहना है कि स्कूल में रोजाना गीता का पाठ करने के लिए छात्रों को मजबूर किया जाता है। केंद्रपारा शहर की रहने वाली फिरदौस ने मार्च महीने में यह प्रतियोगिता जीती थी। इस पर फिरदौस की मां ने खुशी जाहिर की थी। फिरदौस की मां आरिफा बीवी ने उस वक्त कहा था, ‘मुझे फिरदौस की मां होने पर गर्व महसूस हो रहा है। मुझे यह जानकर काफी खुशी हुई कि मेरी बेटी फिरदौस हिंदू धार्मिक ग्रंथ का पाठ करने में एक नंबर पर आई है। मेरी बेटी की सफतला का श्रेय उसकी स्कूल के अध्यापकों को जाता है।’

इसके साथ ही फिरदौस की स्कूल की हेड टीचर उर्मिला ने कहा था, ‘जब से फिरदौस ने स्कूल में दाखिला लिया है, वह पढ़ाई में बहुत अच्छी है। उसकी याद रखने की क्षमता भी अच्छी है। मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्म के लड़के और लड़कियां इस स्कूल में पढ़ते हैं। पाठ्यक्रम की किताबों के अलावा हम लोग छात्रों को हर धर्म के धार्मिक ग्रंथों से नैतिक शिक्षा भी पढ़ाते हैं।

फिरदौस जब इस प्रतियोगिता गीता का पाठ कर रही थी तो सभी लोग ध्यान से सुन रहे थे। छह साल की इस बच्ची ने जब गीता का पाठ खत्म किया तो पूरा हॉल तालियों से गूंज पड़ा। सब लोग फिरदौस की प्रतिभा देखकर हैरान थे। इस प्रतियोगिता में फिरदौस को 100 में से 90 नंबर दिए गए थे।

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