‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ आए अखिलेश यादव, बोले- तैयारी कीजिए
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विरोधी खेमे से नया साथी मिल गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मसले पर साथ देने का ऐलान किया है। सपा प्रमुख ने कहा, ‘हमलोग एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए तैयार हैं। इस मुद्दे पर आप 2019 से तैयारी कीजिए, हम भी आपके साथ हैं।’ दरअसल, इस मसले पर विचार करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बाद राज्य सरकार ने 5 जून को केंद्र से लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और नगर निकायों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की थी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को 4 जून को रिपोर्ट सौंपी थी।
सीएम योगी ने खुद इसकी जानकारी मीडिया को दी थी। उन्होंने बताया था कि प्रदेश के अंदर सभी चुनाव एक साथ हो और वोटर लिस्ट भी एक हो। उन्होंने कहा था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह देखना होगा कि चुनाव के नाम पर पांच साल यूं ही न निकल जाएं। हर साल देश के किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। कभी विधानसभा, लोकसभा तो कभी पंचायत तो कभी निकाय चुनाव होते हैं। उन्होंने बताया था कि चुनावों की टाइमिंग अलग-अलग होने के कारण अधिकारियों की ड्यूटी भी लगती रहती है। इससे सिस्टम के साथ विकास कार्य भी प्रभावित होता है। इस मसले पर अब उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का भी समर्थन मिल गया है।
We are ready for one nation one election. 2019 se tayiaari kariye hum bhi aapke saath hain is mudde par: Akhilesh Yadav,SP on Yogi Govt backs PM Modi’s ‘one nation one election’ proposal pic.twitter.com/tnhh4DockP
— ANI UP (@ANINewsUP) June 6, 2018
चुनाव आयोग ने भी दिखाई है सक्रियता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के सुझाव पर चुनाव आयोग ने भी सक्रियता दिखाई है। आयोग ने पिछले महीने इसके लिए बीच का रास्ता निकालने की जानकारी दी थी। चुनाव आयोग ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के बजाय ‘एक साल, एक चुनाव’ का सुझाव दिया था। आयोग ने विधि आयोग के एक पत्र के जवाब में यह सुझाव दिया था। विधि आयोग ने अपने पत्र में आयोग से पांच संवैधानिक मसलों के अलावा 15 सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर राय मांगी थी। आयोग ने भी एक साथ चुनाव करने का समर्थन किया था और एक साल में सिर्फ एक ही चुनाव कराने का वैकल्पिक सुझाव भी दिया था। बता दें कि मौजूदा समय में चुनाव आयोग उन्हीं राज्यों में एक साथ चुनाव कराता है, जिनके विधानसभा कार्यकाल कुछ महीने के अंदर ही समाप्त होने वाले होते हैं।