रोहिंग्या मुसलमानों पर बोलीं आंग सान सू ची: परेशान लोगों के लिए दुखी हैं, लेकिन आलोचना से नहीं डरते

म्यांमार में रोहिंग्या संकट पर अपनी पहली टिप्पणी में आंग सान सू ची ने आज कहा कि रखाइन प्रांत में फैले संघर्ष में जिन ‘‘तमाम लोगों’’ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए मैं ‘‘दिल से दुख’’ महसूस कर रही हूं। सू ची ने अपनी टिप्पणी में यह भी उल्लेख किया कि रोहिंग्या मुस्लिमों को हिंसा के जरिए देश से विस्थापित किया गया। टीवी पर प्रसारित अपने संबोधन में सू ची ने ऐसे किसी भी ‘‘मानवाधिकार उल्लंघन’’ की निंदा की जिससे संकट में इजाफा हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनकर चिंतित हैं कि अनेक मुस्लिमों ने पलायन कर बांग्लादेश में शरण ली है।’’ सू ची के संबोधन का टीवी पर सीधा प्रसारण हुआ। सू ची ने कहा कि रखाइन में अमन और शांति बहाल करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। हम ये जानना चाहते हैं कि ये क्यों हुआ और इसके लिए पलायन करने वाले लोगों से हम बातचीत के लिए तैयार हैं।

मालूम हो कि सू ची की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा कि म्यांमार की नेता आंग सान सू की के पास सेना की आक्रामक कार्रवाई को रोकने का ‘एक अंतिम अवसर’ है, जिसने हजारों रोहिंग्या मुस्लिमों को बांग्लादेश भागने को मजबूर किया है। गुटेरेस ने शनिवार की रात बीबीसी से कहा था कि सू की के पास अभियान को रोकने का एक अंतिम मौका है।

उन्होंने कहा था, “यदि वह मौजूदा हालात को नहीं बदलती हैं, तब मेरा मानना है कि त्रासदी बेहद भयावह होगी और दुर्भाग्य से तब मुझे नहीं पता कि इसे भविष्य में कैसे बदला जा सकेगा।” महासचिव ने फिर से कहा कि रोहिंग्या लोगों को वापस घर लौटने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि म्यांमार की सेना को देश में अभी भी ‘प्रमुखता’ प्राप्त है और रखाइन राज्य में जमीनी तौर पर जो किया जा रहा उसके लिए दवाब डाला जा रहा है। रखाइन राज्य में 25 अगस्त को रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा पुलिस जांच चौकी पर हमला करने व 12 सुरक्षा कर्मियों की हत्या किए जाने के बाद यह संकट पैदा हुआ है।

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