जब आरएसएस चीफ सुदर्शन ने वाजपेयी को कहीं नहीं रखा और बताया था इंद‍िरा को सबसे बड़ा नेता

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय जाने के निर्णय से कांग्रेस के साथ ही भारतीय राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। प्रणब दा कांग्रेस के बेहतरीन नेताओं में शुमार रहे हैं, ऐसे में आरएसएस के कार्यक्रम को संबोधित करने के उनके फैसले से पार्टी नेताओं की बेचैनी का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति होने के बाद वह किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं रहे, लेकिन आम जनमानस में उनकी छवि एक समर्पित कांग्रेसी की ही है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब आरएसएस ने कांग्रेस नेताओं के कौशल को मान्यता दी है। संघ के पूर्व सरसंघचालक केएस. सुदर्शन ने वर्ष 2005 में वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता को दिए इंटरव्यू में कांग्रेसी नेताओं की तारीफ की थी। सुदर्शन ने 13 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी के बजाय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ बताया था।

आरएसएस के तत्कालीन प्रमुख सुदर्शन ने कहा था, ‘श्रीमती इंदिरा गांधी में एक बेहतरीन खूबी थी कि वह दबाव में भी किसी के सामने नहीं झुकती थीं। यह पूरी तरह से निश्चित था कि वह जब तक वहां (प्रधानमंत्री के पद पर) काबिज हैं, वह रूस या अमेरिका में से किसी के सामने दबाव में नहीं झुकेंगी। इंदिरा को जनता, उनकी जरूरतों और देश की अच्छी समझ थी।’ केएस. सुदर्शन ने इंदिरा गांधी की सबसे बड़ी खामी का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘उनमें (इंदिरा गांधी) सिर्फ एक नकरात्मक प्रवृत्ति थी कि वह आत्मकेंद्रित थीं। यदि उन्होंने देश के हित को ध्यान में रखकर फैसले लिए होते तो भारत को दूसरा चाणक्य मिल गया होता।’

‘वाजपेयी ने देश के लिए कुछ बड़ा नहीं किया’: केएस. सुदर्शन से जब इंदिरा के बाद देश के दूसरे बड़े नेता के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कांग्रेस के ही एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री का नाम लिया था। सुदर्शन ने पीवी. नरसिम्हा राव को भारत का दूसरा बड़ा नेता करार दिया था। उन्होंने कहा था, ‘नेहरू परिवार का सदस्य न होने के बावजूद भी पीवी. नरसिम्हा राव ने पांच साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया था। वह राजनीति छोड़ने वाले थे, लेकिन हालात ने कुछ इस तरह करवट ली थी कि वह देश के प्रधानमंत्री बन गए। नरसिम्हा राव सही मायनों में राजनीतिज्ञ थे।’ अटल बिहारी वाजपेयी एनडीए के पहले प्रधानमंत्री थे। इसके बावजूद सुदर्शन ने उनका नाम देश के शीर्ष राजनेताओं में नहीं लिया था। इसके उलट आरएसएस के तत्कालीन प्रमुख ने कहा था कि वाजेपेयी ने देश के लिए व्यापक महत्व वाला कोई काम नहीं किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *