जिसने बुरे दिनों में दिया था लालू-राबड़ी का साथ, उसी के खिलाफ बड़े बेटे ने खोला मोर्चा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के विश्वासपात्र समझे जाने वाले और चार बार से लगातार बिहार प्रदेश राजद का अध्यक्ष पद संभालने वाले रामचंद्र पूर्वे अब लालू-राबड़ी के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव की आंखों में खटकने लगे हैं। शनिवार को जिस व्यक्ति पर तेज प्रताप ने निशाना साधा और कहा कि भाई को भाई से लड़ाना चाहते हैं, वो रामचंद्र पूर्वे हैं। बता दें कि शनिवार को तेज प्रताप ने कहा था कि पार्टी में कई असामाजिक लोग आ गए हैं जो भाई को भाई से लड़ाना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने अपने छोटे भाई और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को कलेजे का टुकड़ा करार दिया था। तेजप्रताप ने शनिवार को ट्वीट किया था, “मेरा सोचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊँ। अब कुछेक “चुग्लों” को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं।। ।। राधे राधे।।”
68 साल के डॉ. रामचंद्र पूर्वे पार्टी के सीनियर नेताओं में एक हैं और राजद के संस्थापकों में हैं। 1997 में जब लालू यादव चारा घोटाले में जेल जा रहे थे तब उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाया था। राबड़ी देवी के साथ सिर्फ रामचंद्र पूर्वे ने ही शपथ ली थी। मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में हुआ था। वो लालू और राबड़ी दोनों की सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे हैं। 1997 में जनता दल से अलग होकर जब राजद का गठन हो रहा था तब लालू यादव ने उन्हें पार्टी का संविधान ड्राफ्ट करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
रामचंद्र पूर्वे इधर लगातार विधान सभा चुनाव हारते रहे हैं, बावजूद इसके लालू-राबड़ी ने उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखा। उन्हें इसी साल राबड़ी देवी के साथ विधान परिषद का सदस्य बनाया गया है। पिछड़ी जाति से आनेवाले रामचंद्र पूर्वे लालू-राबड़ी के शासनकाल में शिक्षा और संसदीय मंत्रालय देख चुके हैं। बता दें कि तेजप्रताप ने शनिवार (09 जून) को कहा था कि पार्टी के कुछ सीनियर नेता उनका फोन नहीं उठाते हैं और उन्हें तवज्जो नहीं देते हैं। तेजप्रताप ने अपने करीबी राजेंद्र पासवान को पार्टी में पद देने में देरी पर भी नाराजगी जताई थी।