मुद्रा की नई ‘मुद्रा नकदी रहित नहीं, नकद नारायण पर भरोसा बढ़ा
लोगों को नकदी रहित नहीं, नकद नारायण वाली अर्थव्यवस्था ही भा रही है। रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में नकदी के चलन के लेकर रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार, नोटबंदी के 19 महीने के बाद देश की जनता के हाथ में नकदी का आंकड़ा दोगुने से ज्यादा हो गया है। नोटबंदी के समय ‘जनता के हाथमें नकदी 7.8 लाख करोड़ रुपए तक सिमट गई थी। अब यह आंकड़ा 19 महीने के दौरान 18.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। दूसरा आंकड़ा ‘चलन में नकदीका है। नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा 8.9 लाख करोड़ रुपए का था, जो अब 19.3 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। चलन में मौजूद कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने पर पता चलता है कि चलन में कितनी मुद्रा लोगों के हाथ में पड़ी है।
रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ‘जनता के हाथ नकदीऔर ‘चलन में नकदीदोनों नोटबंदी के फैसले से पहले के स्तर से अधिक हैं। सरकार के नोटबंदी के फैसले से तब चलन में मौजूद रही कुल मुद्रा में मूल्य के हिसाब से 86 फीसद नकदी अमान्य हो गई थी। सरकार ने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों के चलन पर आठ नवंबर 2016 को पाबंदी लगाई थी। इसके बाद करीब 99 फीसद मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गई थी। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले देश के कई हिस्सों में नकदी संकट की खबरें आईं थी। जबकि हकीकत में रिजर्व बैंक के मौजूदा आंकड़े कहते हैं कि इसके उलट लोगों के पास बड़ी मात्रा में नकदी मौजूद है।
‘जनता के हाथमें नकदी
- मई 2018 तक लोगों के पास 18.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की नकदी है
- यह एक साल पहले की तुलना में 31 फीसद ज्यादा है
- यह 9 दिसंबर 2016 के आंकड़े- 7.8 लाख करोड़ रुपए के दोगुने से अधिक है
- नोटबंदी से पहले लोगों के पास करीब 17 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी
‘चलन में नकदी’
- एक जून 2018 को 19.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक नकदी चलन में थी
- यह एक साल पहले की तुलना में 30 फीसद ज्यादा है
- छह जनवरी 2017 के 8.9 लाख करोड़ रुपए की तुलना में दोगुने से ज्यादा है
- नोटबंदी के पहले पांच जनवरी 2016 को कुल 17.9 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी
बढ़ा भरोसा
- मई 2014 में 13 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी
- एक साल में यह बढ़कर 14.5 लाख करोड़ से अधिक हो गई
- मई 2016 में ये 16.7 लाख करोड़ हो गया
- अक्तूबर 2016 में नकदी 17 लाख करोड़ से अधिक हो गया