झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में हर दिन तीन बच्चे की मौत, तीन महीने में 303 नौनिहालों की गई जान
औद्योगिक रूप से संपन्न झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था भी खस्ताहाल है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रांची) बच्चों के लिए कब्रगाह बन गया है। साल के शुरुआती तीन महीनों में अस्पताल में 303 बच्चों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा भयभीत करने वाला है। जनवरी से मार्च तक के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी में कुल 3,167 बच्चे ओपीडी में आए थे, जिनमें से 606 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया था। इनमें से 93 मासूमों की मौत हो गई थी। इसके अगले महीने फरवरी में रिम्स में कुल 3,261 बच्चों को इलाज कराने के लिए लाया गया था। डॉक्टरों ने इनमें से 604 को भर्ती कर लिया था। आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती बच्चों में 96 नौनिहालों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी डॉक्टर नहीं जागे। मार्च 2018 में कुल 3,376 बच्चे ओपीडी में आए थे, जिनमें से 761 मासूमों को गंभीर बीमारी होने के कारण भर्ती कर लिया गया था। इनमें से 114 मासूमों की अकाल मौत हो गई थी। इस तरह साल के शुरुआती तीन महीनों में झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में 303 नौनिहालों की मौत हो गई। ‘दैनिक जागरण’ के अनुसार, रिम्स के मेडिसिन विभाग की हालत तो और खराब है। इस विभाग में साल के शुरुआती तीन महीनों में कुल 25,502 मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे। इनमें से 5,957 लोगों को भर्ती किया गया था। गंभीर तथ्य यह है कि भर्ती मरीजों में से 1,229 की मौत हो गई।
वही रटा-रटाया जवाब: दर्जनों की तादाद में बच्चों की मौत हो गई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के पास वही रटा-रटाया जवाब है। रिम्स प्रबंधन ने बताया कि बच्चों को बेहद गंभीर स्थिति में इलाज के लिए अस्पताल लाया जाता है, ऐसे में कई बार उन्हें बचा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल पर लोड बहुत ज्यादा रहता है, लेकिन इससे निपटने के लिए जल्द ही 16 बेड का नियो-नेटल आईसीयू की व्यवस्था की जाएगी। बता दें कि आदिवासी बहुल झारखंड में रिम्स सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां दूर-दराज के इलाकों से लोग इलाज कराने के लिए आते हैं। इसके बावजूद हॉस्पिटल में मरीजों के लिए माकूल व्यवस्था को दुरुस्त करने के प्रति लापरवाही बरती जाती है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास अस्पताल दर्जनों बच्चों की मौत को लेकर सुर्खियों में रहा था।