क्षेत्रफल और श्रेणीवार 25 रुपए से 10 हजार रुपए प्रतिमाह देना होगा शुल्क
काफी किचकिच और जन विरोध के बीच सेक्टर- 123 में बन रहे कचरा घर पर खर्च होने वाली रकम भी निवासियों से यूजर चार्जेज की तर्ज पर कचरा शुल्क भी वसूला जाएगा। आवास, फ्लैट, फैक्टरी, अस्पताल, दुकान, शोरूम से लेकर संस्थानों के क्षेत्रफल के आधार पर यह शुल्क तय किया गया है। घर-घर से कचरा उठाने के लिए प्राधिकरण एजंसी का चयन करने की प्रक्रिया में है। एजंसी का चयन होने और काम शुरू होने के तत्काल प्रभाव से शुल्क देय होगा। शुल्क वसूलने का अधिकार भी एजंसी को दिया जा रहा है। इस रकम का इस्तेमाल घर-घर से कचरा उठाने और कचरा घर तक के परिवहन में होगा।
छांट कर रखे गए कचरे ही उठाने का निर्देश
विकराल हो चुकी कूड़े समस्या के समाधान के तहत प्राधिकरण घरों से निकलने वाले मिश्रित कचरे को नहीं उठाने के दिशा- निर्देश जारी कर चुका है। घरों से केवल अलग- अलग छांट कर रखा जाने वाला कचरा ही उठाया जाएगा। कचरा उठाने की एवज में आबंटी को शुल्क भी देना होगा। न्यूनतम 25 रुपए से 10 हजार रुपए प्रतिमाह का शुल्क निर्धारित किया गया है। खास बात यह है कि जो घर या प्रतिष्ठान शुल्क नहीं देंगे, उनका कचरा नहीं उठाया जाएगा। मसलन एक भूखंड पर यदि 5 छोटे फ्लैट बने हैं, तो सभी को 25 रुपए प्रतिमाह कचरा शुल्क देना होगा।
निवासियों को शुल्क संबंधी रसीद भी जारी की जाएगी। हालांकि, इस व्यवस्था का कुछ सेक्टरों के निवासियों ने कचरा शुल्क का विरोध जताया है। उनके मुताबिक वे घरों से कचरा उठाने के लिए आरडब्लूए को हर महीने रुपए देते हैं। इसके बाद यह शुल्क लगाना पूरी तरह से गलत है।प्राधिकरण अफसरों के मुताबिक घरों से अलग- अलग छांटा गया कचरा लेने के पीछे प्राथमिक कचरा केंद्रों को बंद करना है। ताकि सेक्टरों के बाहर बने प्राथमिक कचरा केंद्रों की व्यवस्था खत्म की जाए। घर-घर से कचरा उठाने की व्यवस्था लागू होने के बाद एजंसी के सदस्य सभी सभी जगह से सीधे कचरा उठाएंगी। जहां से इसे सेक्टर- 123 के कचरा घर लाकर निस्तारण किया जाएगा।
एनजीटी में गलत तथ्य रख गुमराह कर रहा है प्राधिकरण
राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने बताया कि प्राधिकरण ने कचरा निस्तारण के लिए 2040 की कार्ययोजना तैयार की थी। 13 मई 2016 को इसे मंजूरी के लिए राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण को भेजा गया था। लेकिन यह कार्य योजना सेक्टर- 123 नहीं बल्कि अस्तौली के लिए थी। जिसे मंजूरी भी मिली। सत्ता बदलने के बाद प्राधिकरण ने अपनी बोर्ड बैठक में अस्तौली की जगह को बदल दिया। बदली हुई जगह के बारे में नहीं बताया। जबकि अब तक प्राधिकरण ने सेक्टर- 123 में बन रहे कचरा घर के लिए कोई कार्य योजना तैयार नहीं की है। उन्होंने इसके लिए कुछ सत्ताधारी लोगों को जिम्मेदार ठहराया। जबकि सेक्टर- 123 में कचरा घर और कचरा निस्तारण संयंत्र लगने का नुकसान यहां रहने वालों को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सेक्टर- 123 में कचरा घर बनाने पर सामाजिक संगठनों, पर्यावरणविदे और सेक्टरवासियों की आपत्तियों का निस्तारण नहीं हुआ है। आरटीआइ में पूछे गए सवाल के जवाब में प्राधिकरण ने कहा है कि सेक्टर- 123 में कचरा घर योजना को जन स्वास्थ्य के लिहाज से खारिज कर दिया है।