अपने बेटों के साथ मिलकर रची साज़िश और सौतन की तीन बच्चियों की कर दी नृशंस हत्या
बिहार के बांका ज़िले में एक महिला ने अपने पति के विवाहेतर संबंध के चलते पति की प्रेमिका के परिवार पर हमला किया और तीन बच्चियों की नृशंस हत्या को अंजाम दिया. हमले के लिए महिला ने अपने बेटों और कुछ अन्य पुरुषों की मदद लेकर पूरी स्कीम तैयार की.
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हेमा के साथ रमेश के संबंधों को लेकर पिछले कुछ सालों से लगातार परेशान थी रमेश की पत्नी रमा. कभी किस्मत पर रोती और कभी रमेश को तो कभी हेमा को कोसती. बावजूद इसके रमेश किसी कीमत पर हेमा को छोड़ने को तैयार नहीं था. रमा को लगने लगा था कि हेमा कोई जादूगरनी है जिसने उसके पति को छीन लिया है. कई बार हेमा को डरा धमकी चुकी रमा कत्ल जैसे संगीन जुर्म तक पहुंच जाएगी, यह न तो हेमा ने कभी सोचा न ही रमेश ने.
बिहार के बांका ज़िले में रहने वाली रमा को कुछ साल पहले जब पता चला कि उसके पति रमेश के संबंध हेमा के साथ बन गए हैं तो वह दुखी हुई. रमेश से शिकवा शिकायत की और कई बार यही ताना देती कि अगर मैं दो बेटों की मां हूं तो वह भी तो तीन बेटियों की मां है, ऐसी कौन सी खास बात है उसमें. रमेश कभी चुप रहकर तो कभी नाराज़ होकर बात टाल देता या बीच में छोड़कर चला जाता.
बात समय के साथ बढ़ती ही गई और रमेश अब हेमा के घर ज़्यादा जाने लगा और कभी-कभी वहां रुक भी जाता. हेमा की तीनों बेटियों से भी उसका लगाव होने लगा था. ऐसा ही एक मौका था जब रमा अचानक अपने बेटों और एक-दो रिश्तेदारों के साथ हेमा के घर पहुंच गई और गाली-गलौज करते हुए उसे धमकाया कि वह रमेश के साथ अपने संबंध खत्म कर ले वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.
इससे भी कोई बात नहीं बनी और रमेश की शह पर हेमा ने हिम्मत दिखाई. सिवाय रोने और कोसने के रमा को अब कोई रास्ता नहीं सूझता था. यही सब चल रहा था और इस साल की शुरुआत में रमा को पता चला कि हेमा की बड़ी बेटी की शादी की बात चल रही है. किसी ने रमा को बताया कि यह शादी करवाने में हेमा की हर तरह से रमेश मदद कर रहा है. एक तरफ रमेश और हेमा के इस कदर बढ़ते रिश्ते से परेशान थी रमा तो दूसरी तरफ उसे लगा कि उसके बेटों के हिस्से का पैसा भी रमेश उसकी सौतन पर न लुटा दे.
अब रमा को किसी नतीजे पर पहुंचना था इसलिए उसने अपने बेटों को अपना दुखड़ा सुनाना शुरू किया. पिछले लंबे समय से रमा दोनों बेटों को उनके पिता के इस रिश्ते के खिलाफ भड़का ही रही थी. अब रमा ने दोनों को एक बड़े कदम के लिए तैयार रहने का मन बनाना शुरू कर दिया था. इधर, रमा के संपर्क में जमुई ज़िले के दो आदमी थे जिनसे रमा को मदद की उम्मीद थी. इन्हीं की मदद से जमुई के ही एक बदमाश नरेश यादव से भी रमा का संपर्क हुआ.
रमा ने इन तीनों को बुलाकर अपने बेटों के साथ हेमा को अच्छी तरह सबक सिखाने के लिए कड़ा फैसला किया और पूरी स्कीम बनाई. स्कीम के तहत रमा ने अपने बेटों और तीनों बदमाशों के साथ 4 और 5 जून की दरम्यानी रात हेमा के घर पर धावा बोला. पांच आदमियों ने घर में मौजूद हेमा और उसकी बेटियों को काबू में कर लिया और वो चिल्लाएं नहीं, इसका इंतज़ाम कर दिया. अब रमा ने हेमा को खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि बार-बार मना करने पर भी न मानने का नतीजा भुगतने का समय आ गया है.
थोड़ी देर चीखने चिल्लाने और हेमा को कोसने के बाद रमा ने साथ के सभी आदमियों को इशारा किया. हेमा को बांधकर पटक दिया गया और उसकी तीनों बच्चियों के साथ मारपीट और ज़बरदस्ती की जाने लगी. रमा ने रो रही और आंखें बंद कर पड़ी हेमा को पकड़कर उसे ज़बरदस्ती का यह मंज़र ज़बरदस्ती दिखाया. रमा के सिर पर खून सवार हो चुका था. कुछ ही देर में रमा ने एक बड़े से चाकू से तीनों बच्चियों पर हमले किए और उसके बाकी साथियों ने रही सही कसर पूरी करते हुए तीन बच्चियों को मौत के घाट उतार दिया.