चीनी राजदूत चाहते हैं भारत-पाक-चीन करें सम्‍मेलन, भड़की कांग्रेस ने कहा- दखल न दे ड्रैगन

भारत में नियुक्त चीनी राजदूत ने आज कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक और डोकलाम प्रकरण का तनाव नहीं ले सकते हैं। उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों की एक बैठक के जरिए सीमा विवाद का एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने की जरूरत पर भी जोर दिया। चीनी राजदूत ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने भारत , चीन और पाकिस्तान की भागीदारी वाली एक त्रिपक्षीय बैठक का सुझाव दिया है जो एक बहुत ही रचनात्मक विचार है। चीन – भारत संबंध के बारे में उन्होंने कहा कि मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन उन्हें सहयोग के जरिए दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सहयोग बढ़ा कर मतभेदों को दूर करने की जरूरत है। सीमा विवाद अतीत की देन है। हमें विश्वास बहाली के उपाय स्वीकार करते हुए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के जरिए एक परस्पर स्वीकार्य हल तलाशने की जरूरत है।

राजूदत ने कहा, ‘‘हम एक और डोकलाम का तनाव नहीं ले सकते।’’ उन्होंने यहां चीनी दूतावास में एक कार्यक्रम में ‘वुहान से आगे: चीन -भारत संबंध कितना आगे और तेजी से जा सकता है’ विषय पर मुख्य भाषण देते हुए यह कहा। गौरतलब है कि पिछेल साल अगस्त में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध चला था।
डोकलाम गतिरोध का एक तात्कालिक परिणाम यह हुआ था कि नाथू ला से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सालाना सैन्य अभ्यास स्थगित कर दिया गया था। चीन ने तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के जल के बारे में आंकड़े भी नहीं दिए थे।

राजदूत ने आज कहा कि चीन धार्मिक आदान प्रदान को बढ़ावा देना और तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए इंतजाम करना जारी रखेगा।
डोकलाम प्रकरण के बाद दोनों देशों के नेताओं के बीच कई उच्च स्तरीय वार्ताएं हुई हैं। इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनंिफग पिछले दो महीनों में वुहान और चिंदाओ में दो बार मिले।

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तीन मुख्य उद्देश्यों में सुरक्षा सहयोग भी शामिल है। यह आठ देशों का एक संगठन है जिसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं। राजदूत ने कहा कि भारत, चीन और पाकिस्तान का एक त्रिपक्षीय बैठक करने का प्रस्ताव बहुत ही रचनात्मक है। चीन, रूस और मंगोलिया के नेता भी इस तरह की बैठक करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ भारतीय दोस्तों ने यह सुझाव दिया है और यह एक बहुत अच्छा और रचनात्मक विचार है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एससीओ, ब्रिक्स में सहयोग बढ़ाने और सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है।’’ अफगानिस्तान में भारत – चीन सहयोग के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा कि दोनों देशों ने अफगान अधिकारियों और राजनयिकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम की पहचान की है।‘‘यह पहला कदम है और भविष्य में और भी कदम उठाए जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *