रोहिंग्या शरणार्थियों पर बोले अरुण जेटली- सुरक्षा पर फैसला हमारा हक
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रोहिंग्या मुद्दे पर सरकार के रुख का समर्थन किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे का समर्थन करते हुए तीनों ने कहा कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अरुण जेटली ने कहा कि हर देश का यह अधिकार बनता है कि वह अपनी विदेश, सुरक्षा और जनसंख्या नीति के मुद्दे पर खुद फैसला करे। भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी यहां की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं और इस बारे में सरकार के पास पुख्ता जानकारी है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में सभी को पता है। क्या भारत उनका भार उठा सकता है? उन्होंने कहा कि उन शरणार्थियों को शरण देना उचित नहीं है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह क्यों नहीं सभी रोहिंग्या मुसलमानों को अपने पास रख लेता है। हम किसी भी हालत में रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में नहीं रहने देंगे। गिरिराज ने कहा कि भारत में और घुसपैठियों को सहने की क्षमता नहीं है, इसलिए रोहिंग्या मुसलमानों को जाना होगा। रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
गिरिराज सिंह ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना का जिक्र करते हुए कहा कि अगर मसूद अजहर को रोहिंग्या मुसलमान इतने प्रिय हैं तो बेहतर होगा कि पाकिस्तान उन्हें अपने यहां बुला ले। अगर पाकिस्तान की सरकार के समर्थन वाला उस देश का आतंकी नेता अजहर यह कह रहा है तो पाकिस्तान की सरकार को उन्हें ले जाना चाहिए। गिरिराज ने कहा कि मानवता कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने रोहिंग्या समुदाय का समर्थन कर रहे नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि इन्हें भी कह दिया जाना चाहिए कि वे रोहिंग्या समुदाय के लोगों को पाकिस्तान भेज दें। उनका यह बयान रोहिंग्या मुसलमानों को निर्वासित करने के सरकार के फैसले की आलोचना के संदर्भ में आया है।
ये लोग म्यांमा के हिंसा प्रभावित रखाइन प्रांत को छोड़कर आए हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि अवैध रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। हलफनामे में रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क होने की बात करते हुए उन्हें किसी भी कीमत पर भारत में रहने की इजाजत नहीं देने की बात कही गई है।