उत्तराखंड: सामने आया साढ़े 17 करोड़ का सहकारिता घोटाला

उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ में साढेÞ सत्रह करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। इस घपले को लेकर संघ के अध्यक्ष प्रमोद सिंह को नोटिस भी भेजा गया है। सूबे के सहकारिता मंत्री डॉ धनसिंह रावत की पहल के बाद यह घोटाला सामने आया है। इस घपले को लेकर धनसिंह रावत और राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष प्रमोद सिंह आमने-सामने आ डटे हैं। सिंह ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है। वहीं रावत ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति पर चल रही है। रावत ने उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ द्वारा संचालित नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ में स्थित सोयाबीन फैक्ट्री और रानीखेत स्थित ड्रग्स फैक्ट्री में व्याप्त अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। इसके लिए चार सदस्यीय जांच कमेटी अल्मोड़ा जिले के उपनिबंधक एमसी त्रिपाठी की अध्यक्षता में बनाई गई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट निबंधक को सौंपी। इसमें सहकारी संघ के आठ मामलों में घपले की बात सामने आई।

रावत के निर्देश पर अपर सचिव सहकारिता ने संघ के प्रबंध निदेशक को इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। निबंधक बीएम मिश्रा ने उपनिबंधक (प्रशासन) इरा उप्रेती को इस मामले की जांच सौंपी है। इरा ने बताया कि अभी कार्रवाई चल रही है। राज्य सहकारी संघ के घपलों की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि संघ बाजार से सामान खरीदकर विभागों को तीन फीसद कमीशन जोड़कर सामान सप्लाई कर नुकसान पहुंचा रहा था। इसके अलावा संघ को उर्वरक आयात नीति 2008 के तहत हासिल 3.91 करोड़ का बजट शासनादेश के मुताबिक राज्य सरकार को वापस करना था। ऐसा न करके राज्य सरकार को संघ ने आर्थिक हानि पहुंचाई। वित्तीय वर्ष 2004-05 बाकी से 2016-17 तक सहकारी ड्रग फैक्ट्री रानीखेत ने आॅडिट की टिप्पणियों के बाद भी 17.08 करोड़ का कमीशन एजंटों में बांट दिया। वित्तीय वर्ष 2008-09 से 2016-17 तक उत्तराखंड राज्य सहकारी मेडिसंस और फार्मास्यूटीकल्स लिमिटेड ने भी कमीशन एजंटों को 47.92 लाख का कमीशन बांट दिया। जांच में यह भी सामने आया कि राज्य सरकार से मिली अंश पूंजी में घपला कर संघ को 60 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया गया। राज्य सहकारी संघ के भवन का निर्माण शासन के अनुमोदन और वित्तीय विभाग से टीएसी करके किया गया, जो नियम विरुद्ध है। संघ प्रबंधन ने निष्क्रिय पड़ी सहकारी समितियों को संघ के नियमों के विरुद्ध सदस्यता दे दी। मूल्य समर्थन योजना में 2009 से 2012 तक समितियों को एक करोड़ छह लाख बोरों का अतिरिक्त भुगतान किया गया। इसका ब्योरा संघ के कागजों में कहीं नहीं है। इससे संघ को सीधे आर्थिक हानि उठानी पड़ी।
जांच समिति ने 97 सहकारी समितियों को संघ का सदस्य बनाए जाने पर गहरी आपत्ति दर्ज की है। जांच कमेटी के मुताबिक, उत्तराखंड सहकारी नियमावली के अनुसार केवल क्रय-विक्रय समितियों को ही संघ की सदस्यता दी जा सकती है। परंतु इसकी जगह पर विपणन समितियों को सदस्यता दी गई। इन समितियों का उपयोग संघ प्रबंध समिति के निर्वाचन को प्रभावित करने के लिए कर रहा है। जांच कमेटी ने इन समितियों की सदस्यता रद्द करने की बात कही।
सहकारिता मंत्री डॉ धनसिंह रावत का कहना है कि सहकारी संघ में व्याप्त भ्रष्टाचार को राज्य सरकार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। जांच रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं, उन पर विभागीय कार्रवाई निष्पक्ष ढंग से की जाएगी। अधिकारियों पर राज्य सरकार का या मेरा कोई दबाव नहीं है। उधर प्रमोद सिंह का कहना है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। अगले साल सहकारिता के चुनाव होने हैं, इसे लेकर राज्य सरकार दबाव बना रही है। अगर समितियों को गलत तरीके से सदस्य बनाया गया था तो अभी तक विभाग के किसी भी प्रबंध निदेशक ने आपत्ति क्यों नहीं उठाई थी। दरअसल, सहकारी संघ के चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं। सहकारी समितियों की सदस्यता खारिज करने के कारण प्रमोद कुमार सिंह की सदस्यता भी खारिज हो सकती है। उनकी अध्यक्ष की कुर्सी भी खतरे में पड़ जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *