400 करोड़ की जमीन को लेकर विवादों में बाबा रामदेव की पतंजलि, वसुंधरा सरकार ने मंदिर की ज़मीन की थी आवंटित

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर राजस्थान में भी फूड पार्क खोलने की तैयारी में है। राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने करौली में इसके लिए पतंजलि ट्रस्ट को 403 बीघा जमीन देने का फैसला किया था। पतंजलि ट्रस्ट और राजस्थान सरकार के बीच में इसको लेकर वर्ष 2016 में समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी हो चुका है। अब इसमें नया पेंच फंस गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने जिस जमीन को पतंजलि ट्रस्ट को देने का फैसला किया है, हकीकत में वह मंदिर माफी की जमीन है। अब संबंधित विभागों ने एमओयू के तहत इस जमीन को बाबा रामदेव की कंपनी को देने के फैसले से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंदिर माफी की इस जमीन पर गोविंद देवजी ट्रस्ट का मालिकाना हक नहीं है। इस पर खुद गोविंद देवजी का अधिकार है, ऐसे में ट्रस्ट बिना मालिकाना अधिकार के कैसे इस जमीन को 30 साल के लिए किसी दूसरे ट्रस्ट को हस्तांतरित कर सकता है। देव स्थान और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों ने मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक के मिनट में स्पष्ट लिखा है कि मंदिर माफी की इस जमीन को तीन दशकों के लिए पतंजलि ट्रस्ट को देने पर एमओयू हो ही नहीं सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह नियम विरुद्ध होगा। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर 21 जून को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बाबा रामदेव की मौजूदगी में 403 बीघे जमीन को पतंजली ट्रस्ट को 30 साल के लीज पर दिया जाएगा। बाजार मूल्य पर इस जमीन का मूल्य 400 करोड़ रुपये आंका गया है, लेकिन आरोप है कि पतंजलि ट्रस्ट को यह जमीन कौड़ियों के भाव दे दिए गए।

मौजूदा कानून में इसकी इजाजत नहीं: मंदिर माफी की जमीन को लीज पर देने के लिए राजस्थान सरकार ने कुछ नियम-कायदे बनाए हैं। नियमानुसार ऐसी जमीन को कृषि कार्य के लिए अधिकतम 5 साल और अन्य कार्यों के लिए अधिकतम तीन साल के लिए ही लीज पर दिया जा सकता है। मुख्य सचिव के साथ हुई बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नियम विरुद्ध जाकर जमीन को लीज पर देने से भविष्य में कई अधिकारी फंस सकते हैं। अब राज्य सरकार के समक्ष नई समस्या पैदा हो गई है कि इस जमीन को पतंजलि ट्रस्ट को किस तरह लीज पर दिया जाए। बता दें कि बाबा रामदेव की कंपनी इस जमीन पर फूड पार्क बनाना चाहती है, जिसमें 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करने का प्रस्ताव है। मुख्य सचिव ने इस मसले पर अधिकारियों की राय भी मांगी थी, जिसमें अफसरों ने नियम विरुद्ध जाकर जमीन को लीज पर देने के खिलाफ अपने विचार दिए हैं।

नियमों में बदलाव की तैयारी: राजस्थान सरकार मंदिर माफी की जमीन को लीज पर देने से जुड़े प्रावधानों में बदलाव करने की तैयारी में है। मुख्य सचिव के स्तर पर राजस्व विभाग को नियमों में बदलाव का निर्देश दिया गया है। इसमें अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि मंदिर माफी की जमीन को लीज पर देने के तौर-तरीकों में बदलाव को लेकर एक प्रस्ताव तैयार कर उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेजा जाए। ‘दैनिक भास्कर’ के अनुसार, देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवा ने बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले में एक समिति बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

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