जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के साथ ही गृहमंत्री का एलान, आतंकियों का सफाया करके रहेंगे
जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एलान किया कि हम कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करके ही दम लेंगे। राज्य में आतंकवाद का सफाया ही एकमात्र लक्ष्य है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो और शांति व्यवस्था कायम हो। इससे पहले अशांत राज्य में बुधवार को राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया। एक दशक में यह चौथा मौका है, जब प्रदेश में राज्यपाल शासन लगा है। वर्ष 2008 से वोहरा के कार्यकाल में चौथी बार राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया है। राज्यपाल ने अगली घोषणा के जरिए राज्यपाल शासन हटाए जाने या इसमें परिवर्तन करने तक विधानसभा को निलंबित अवस्था में रख दिया। राज्यपाल की उद्घोषणा में कहा गया कि राज्य की विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी।
इससे पहले विदेश यात्रा पर गए राष्ट्रपति को राज्यपाल शासन लगाने के बारे में राज्यपाल की रिपोर्ट का ब्योरा भेजा गया। सुबह छह बजे सूरीनाम पहुंचने पर उन्होंने ब्योरा देखा। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लगाने की मंजूरी दे दी है। राजभवन के प्रवक्ता के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने का आज आदेश दिया। जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सहयोगी पीडीपी से भाजपा की समर्थन वापसी और उसके बाद मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के कारण वहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।
राज्यपाल शासन लागू होने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो और शांति व्यवस्था कायम हो। लखनऊ में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे गृहमंत्री ने वहां मीडिया से कहा, लक्ष्य केवल एक ही है कि आतंकवाद समाप्त होना चाहिए और कश्मीर में शांति-व्यवस्था कायम होनी चाहिए। इसी लक्ष्य को सामने रखकर हमारी सरकार काम करेगी। उन्होंने कहा कि हम कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करके ही दम लेंगे। आतंकवाद किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमने पहले कहा था कि रमजान के महीने में सेना और अर्द्धसैनिक बल अभियान नहीं चलाएंगे। अब रमजान का महीना खत्म हो गया और हमारा लक्ष्य अब कश्मीर से आतंक का सफाया करने का है।
राज्यपाल वोहरा ने की बैठक
जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रमुख का काम संभालने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने बुधवार को सचिवालय में प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। राजभवन के एक प्रवक्ता के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने का आदेश दिया। राज्यपाल ने मुख्य सचिव बीबी व्यास से बात की और तय समय के भीतर पूरे किए जाने वाले कार्यों को सूचीबद्ध किया। प्रशासन का प्रभार लेने के लिए सचिवालय पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
जारी रहेगा सैन्य अभियान : सेना प्रमुख
थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि कश्मीर घाटी में पहले की तरह आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल शासन लागू होने से अभी चल रहे सैन्य अभियानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सैन्य अभियानों में किसी तरह की राजनीतिक दखलंदाजी नहीं होती। हमारे ऊपर कभी ऐसा कोई दबाव नहीं रहता कि हम कैसे अभियान चलाएं या अपना काम करें। थलसेना प्रमुख ने कहा कि रमजान के महीने के दौरान सरकार ने एकतरफ सैन्य अभियानों पर रोक लगाई थी, लेकिन आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियां जारी रखी थीं। इस कारण उनके खिलाफ अभियान नहीं शुरू करने का फैसला केंद्र को वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा, हमने केवल रमजान के वक्त अपने अभियान रोके थे। वह भी सिर्फ इसलिए ताकि रमजान के दौरान अमन कायम किया जा सके। लेकिन हमने देखा कि उस दौरान भी आतंकी बाज नहीं आए। अब अभियान दोबारा शुरू किए गए हैं। जिस तरह से पहले अभियान चलाए जा रहे थे, उसी तरह से हम आगे भी नियमों के मुताबिक ऑपरेशन करते रहेंगे।
उन्होंने कहा, अभियान पहले की तरह ही चलाए जा रहे थे। फिर हमने अभियानों पर रोक का वक्त देखा, क्योंकि हम चाहते थे कि रमजान के दौरान लोगों को बगैर किसी समस्या के नमाज अदा करने का मौका मिले। इसके बावजूद आतंकवादियों ने अपनी गतिविधि जारी रखीं, जिसके कारण अभियानों पर रोक का फैसला रद्द कर दिया गया। भाजपा द्वारा पीडीपी की अगुवाई वाली जम्मू-कश्मीर सरकार से अलग हो जाने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगाए जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा, हम नहीं समझते कि इसका कोई प्रभाव पड़ेगा। हमारे यहां राजनीतिक दखल नहीं है। उन्होंने कहा कि थलसेना के काम करने के तौर-तरीके पर कभी कोई बंदिश नहीं रही है। जनरल रावत ने कहा कि सुरक्षा बलों के नियम काफी सख्त हैं और उन्हीं के मुताबिक कार्रवाई करनी होती है।