Yoga Day 2018: कहानी उस महिला की, जिसने 20 साल की लड़ाई के बाद सऊदी अरब में योगा की मचाई धूम
कट्टरपंथियों के बीच रहते हुए भी सऊदी अरब की एक महिला ने परंपरागत छवियों को तोड़ दिया है। लेकिन जून से जब महिलाएं सऊदी अरब की सड़कों पर बाहर निकलेंगी तो उन्हें वो पहचान मिलेगी जो उनकी बहन ने ही उनके लिए सऊदी सरकार से लड़कर बनाई है। करीब 20 साल लंबी लड़ाई के बाद नौफ मरवायी को सऊदी सरकार ने पहले अाधिकारिक योग प्रशिक्षक का प्रमाणपत्र जारी कर दिया है।
ये कई लोगों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है। लेकिन अरब की पहली ‘योगाचारिणी’ का परिवार भी अरब में परिवर्तन का ध्वजवाहक रहा है। नौफ के पिता मोहम्मद मरवायी एथलीट हैं। वह करीब 45 साल पहले सऊदी में मार्शल आर्ट को लेकर आए थे। लेकिन कट्टरपंथी ताकतों से उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा। उन्हें ये भी हमेशा महसूस हुआ कि उनके देश की छवि हमेशा ही महिला विरोधी की रही है। लेकिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय योग को सऊदी अरब में लोकप्रिय बनाने के लिए नौफ मरवायी को भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदमश्री से सम्मानित किया है।
अपने एक इंटरव्यू में मरवायी ने कहा,”दो दशक पहले तक पूरे सऊदी में मैं अकेली योग शिक्षक थी। साल 2004 तक मैं अकेली शख्स थी जो योग के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात किया करती थी। मैंने हजारों लोगों और योग शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है, ये सभी लोग अब पूरे सऊदी के कई शहरों में और दूसरे अरब देशों में भी योग सिखा रहे हैं। ये यहां के कई लोगों और सरकारी संस्थाओं के लिए नई बात है। मैंने साल 2006 में उनसे योग को मान्यता देने के लिए संपर्क किया था। लेकिन उस वक्त ये कारगर साबित नहीं हो सका था।”
नौफ बताती हैं,”इन हालातों में बदलाव सन 2015 में आना शुरू हुआ, जब मेरी कुछ कट्टरपंथियों से महिला खेल और योग के मुद्दे पर लड़ाई चल रही थी। संयुक्त राष्ट्र ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के बाद 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा कर दी। हमने जेद्दाह में पहली बार और आधिकारिक तौर सावर्जनिक रूप से योग दिवस मनाया। इससे हमें ताकत मिली कि हम इस बड़े इवेंट का प्रचार कर सकें और हर साल योग दिवस मना सकें। हर बार जब हम सार्वजनिक रूप से इसे करते हैं हमें भारतीय दूतावास का भरपूर सहयोग मिलता है। हम अरब योग फाउंडेशन के बैनर तले पूरे अरब में योग का प्रचार कर रहे हैं।”