Photo: हजारों की संख्या में कश्मीर स्थित खीर भवानी और माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर पहुँचे कश्मीरी पंडित

 

अपनी जान के खतरे की परवाह नहीं करते हुए हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित दक्षिण कश्मीर स्थित खीर भवानी और माता त्रिपुर सुंदरी के प्राचीन मंदिरों में वैष्णव देवियों का जन्मोत्सव मनाने के लिए एकत्र हुए। इन मंदिरों में उन्होंने कश्मीर में शांति और हालात सामान्य होने के लिए प्रार्थना की। तुलमुला (गंदेरबल जिला) में माता खीर भवानी , कुलगाम जिला के देवसर में देवी त्रिपुर सुंदरी और मंजगाम में देवी रागनीय भगवती , अनंतनाग में रागनीय भगवती लोक्तिपुर और कुपवाड़ा के टिक्कर में रागनीय माता का जन्मोत्सव कश्मीरी पंडितों ने कल हवन , सामुदायिक रसोई और प्रार्थना सभाएं कर मनाया। (All Photos- PTI)

 

"Political geography, Geography of Asia, Kashmiri Pandit, Asia, Kashmir conflict, Kashmiri, Kashmir, Kashmiris, Exodus of Kashmiri Hindus, Satish Mahaldar, temple of Ragnya Devi, Ganderbalआतंकवाद के चलते कश्मीरी पंडितों का विस्थापन शुरू होने के बाद पिछले 29 साल में यह पहला अवसर है , जब सभी पांच प्राचीन मंदिरों में कश्मीरी पंडितों ने इतने बड़े स्तर पर हवन , सामुदायिक रसोई और प्रार्थना सभाएं कीं।

 

"Political geography, Geography of Asia, Kashmiri Pandit, Asia, Kashmir conflict, Kashmiri, Kashmir, Kashmiris, Exodus of Kashmiri Hindus, Satish Mahaldar, temple of Ragnya Devi, Ganderbalइस दौरान मंदिर आए दिलीप रैना नाम के एक श्रद्धालु ने बताया कि कश्मीर घाटी में अशांत हालात भी मंजगाम के मंदिरों में पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं को नहीं डिगा सके। वहीं , विनय कौल नाम के एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्हें कोई समस्या पेश नहीं आई।

 

"Political geography, Geography of Asia, Kashmiri Pandit, Asia, Kashmir conflict, Kashmiri, Kashmir, Kashmiris, Exodus of Kashmiri Hindus, Satish Mahaldar, temple of Ragnya Devi, Ganderbalमंजगाम मंदिर में महा यज्ञ करने वाले प्रमुख पुजारी अवतार जी शास्त्री ने कहा कि कई साल बाद कश्मीरी पंडितों ने इस उत्सव में हिस्सा लिया। प्रसिद्ध अहरबल जलप्रपात के पास स्थित मंजगाम के मंदिर में 2300 कश्मीरी पंडित पहुंचे , जबकि 2500 श्रद्धालु कुलगाम में देवसर के त्रिपुर मंदिर पहुंचे। मंजगाम मंदिर कश्मीरी के सुदूर दक्षिणी हिस्से में स्थित है। 1990 में आतंकवादियों के एक बम विस्फोट करने के बाद यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके बाद इसका पुर्निनर्माण कराया गया। कुपवाड़ा के टिक्कर में 1500 से अधिक श्रद्धालु यज्ञ में शामिल हुए और कश्मीर में शांति और हालात सामान्य होने की दुआएं मांगी। गौरतलब है कि इस साल कश्मीर घाटी में अलग – अगल मुठभेड़ के दौरान 53 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं और दो दर्जन नागरिक तथा सुरक्षार्किमयों की जानें गई हैं।

 

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इस दौरान मंदिर के आस-पास की सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई थी। ताकि कश्मीरी ब्राह्मणों को किसी तरह की मुश्किल का सामना न करना पड़े।

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