जानिए किस आधार पर और कितने तरह के होते हैं रेलवे स्टेशन

IRCTC: रेल सफर के दौरान एक के बाद एक गुजरते रेलवे स्टेशनों पर आपका ध्यान जाता हो या नहीं लेकिन भारतीय रेल को देश की लाइफ लाइन बनाने में इनकी बड़ी भूमिका है। इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत के कुल 121, 407 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर 7,349 रेलवे स्टेशन हैं। इनमें छोटे-बड़े अलग-अलग प्रकार के रेलवे स्टेशन शामिल हैं। कुछ घनी आबादी वाले शहरों के रेलवे स्टेशन हैं तो कुछ ऐसे हैं जिनके आसपास रिहायशी इलाका नहीं दिखाई देता है। कुछ रेलवे स्टेशन जंगलों के बीच वीरान से दिखाई दे जाते हैं। हर स्टेशन की बनावट और वहां पर मिलने वाली सुविधाओं के पीछे पूरा वर्गीकरण काम करता है। रेलवे के इन स्टेशनों को मुख्यत: दो मूल विचारों पर श्रेणीबद्ध किया जाता है। एक- ऑपरेशनल यानी परिचालन संबंधी और दूसरा फंक्शनल यानी कार्य संबंधी।
ऑपरेशनल- भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक रेलवे स्टेशनों को ब्लॉक स्टेशंस और नॉन ब्लॉक स्टेशन के आधार पर श्रेणीबद्ध किया गया है। ब्लॉक स्टेशनों को ए, बी और सी क्सास के आधार पर बांटा गया है। नॉन ब्लॉक स्टेशनों को डी क्लास और फ्लैग स्टेशन भी कहते हैं। फंक्शनल स्टेशनों के अंतर्गत हॉल्ट स्टेशन, फ्लैग स्टेशन, क्रॉसिंग स्टेशन या वेसाइड स्टेशन, जंक्शन स्टेशन और टर्मिनल स्टेशन आते हैं।
ब्लॉक स्टेशन: पूरी रेल लाइन को 5 से 10 किलोमीटर के सुविधाजनक ब्लॉक सेक्शन में बांटा गया है और हर ब्लॉक के आखिर में एक ब्लॉक स्टेशन दिया गया है ताकि ट्रेनों को आपस में टकराने और दुर्घटनाओं से बचाया जा सके।
नॉन ब्लॉक स्टेशन या डी क्लास स्टेशन: डी क्लास या नॉन ब्लॉक स्टेशन दो ब्लॉक स्टेशनों के बीच होते हैं जो किसी भी ब्लॉक सेक्शन की सीमा नहीं बनाते हैं। डी क्लास स्टेशनों पर कोई सिग्नल नहीं दिया जाता है।
डी क्लास में आउट लाइंग साइडिंग (गाड़ी को पार कराने) की सेवा देने वाले स्टेशन डीके स्टेशनकहलाते हैं। ऐसे स्टेशनों पर एक क्रॉसओवर के जरिए साइडिंग की जाती है, जिसके लिए केवल एक चाबी से काम लिया जाता है। ट्रेन पास होने के दौरान एक गेंद नुमा टोकन दिया जाता है। जिन डी क्लास स्टेशन पर साइडिंग की सेवा नहीं होती है उन्हें फ्लैग स्टेशन कहते हैं।
पहली रेल: 1832 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में रेल का पहला खाका तैयार किया था, तब किसी को अंदाजा नहीं रहा होगा कि एक दिन यह देश की जीवनधारा कहलाएगी। प्रस्ताव के 5वें साल में यानी 1845 में ब्रिटिश इंजीनियर आर्थर कॉटन की बनाई पहली ‘रेड हिल रेल’ तब के मद्रास में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट के बीच सड़क निर्माण में लगने वाले ग्रेनाइट की ढुलाई के लिए चलाई गई थी। भारत की पहली यात्रियों वाली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई से ठाणे के बीच 34 किलोमीटर के ट्रैक पर चली थी। भारत में कुल 13000 पैसंजर रेल गाड़ियां रोजाना चलती हैं। देश रेल यातायात की शुरुआत अंग्रेजों ने माल ढुलाई और अपनी प्राशासनिक सुविधा के हिसाब से की थी लेकिन आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल फैला हुआ है। भारतीय रेल के विकास में आईआरसीटीसी (भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम) खासी भूमिका निभाई है। भारी तादात में रेल यात्री और पर्यटक आईआरसीटीसी के जरिये आसानी से टिकट बुक करते हैं, उन्हें इसके लिए स्टेशन की टिकट खिड़की पर लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ता है।