अगले साल से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी हो सकती है खत्म, ये है कारण
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा अगले वर्ष यानी मार्च 2019 के बाद खटाई में पड़ सकती है। इसका कारण भारत में पोर्टेबिलिटी की सेवाएं देने वाली कंपनियों को हो रहा घाटा बताया जा रहा है और कंपनियों के लाइसेंस की अवधि भी खत्म हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशंस और सिनिवर्स टेक्नॉलजीस पोर्टेबिलिटी की सेवाएं देती हैं। दोनों कंपनियों को टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के नंबर पोर्ट कराने लगने वाले चार्ज को कम कर देने के आदेश के कारण भारी वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ा रहा है। दरअसल ट्राई ने नंबर पोर्ट करने के लिए लगने वाली फीस 19 रुपये से घटाकर 4 रुपये की है। इन कंपनियों के लाइसेंस भी मार्च 2019 में खत्म हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दोनों कंपनियों ने भारत के दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर अपनी स्थिति से अवगत कराया है। कंपनियों ने दूरसंचार विभाग को लिखा है जनवरी से पोर्टबिलिटी में 80 फीसदी कमी दर्ज की गई, जिससे उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है, लिहाजा वे अपनी सेवाएं बंद कर सकती हैं।
कंपनिया अगर वाकई अपने फैसले को अमल में लाती हैं तो उन ग्राहकों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी जो किसी ने किसी वजह से अपने मोबाइल नंबर पोर्ट कराना चाहेंगे। अमूमन ग्राहक किसी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर की खराब कॉलिंग गुणवत्ता, बिल या टैरिफ आदि से परेशान होकर अपना नंबर पोर्ट कराते हैं। नंबर पोर्ट कराने में पुराना मोबाइल नंबर वही रहता है, बस सर्विस प्रोवाइडर बदल जाता है। पोर्टेबिलिटी बंद होने की आशंकाओं पर दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि मौजूदा कंपनियों के साथ समस्या का हल नहीं निकलने की सूरत में दूसरी कंपनियों को लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस कम्यूनिकेशन के बंद होने और रिलायंस जियो इन्फोकॉम के आने से मोबाइल नंबर पोर्ट कराने में 3 गुना बढ़ोतरी हुई है। पिछले दिनों टाटा टेलिसर्विस, एयरसेल, टेलिनॉर इंडिया ने भी अपनी सेवाएं बंद की हैं। वहीं एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने अपने टैरिफ प्लान्स की सस्ते किए हैं, इससे बड़ी तादात में ग्राहकों के द्वारा नंबर पोर्ट कराने की उम्मीद की जा रही है।
बता दें कि दक्षिण और पूर्वी भारत में सेवाएं दे रहे एमएनपी इंटरकनेक्शंस ने लाइसेंस भी सरेंडर कर दिया है। नंबर पोर्ट करने के चार्ज में ट्राई के द्वारा भारी कटौती के आदेश के खिलाफ कंपनियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसकी सुनवाई की तारीख 4 जुलाई मुकर्रर की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबित दोनों कंपनियों के पास इस वर्ष मार्च तक 370 मिलियन नंबर पोर्ट कराने के आवेदन आ चुके हैं जबकि पिछले महीने के आंकड़े में 2 कंपनियों को करीब दो करोड़ आवेदन मिले।