अधिकतर हवाई जहाजों का रंग आखिर सफेद ही क्यों होता है? जानिए यहां

आपने हवाई जहाज खूब देखे होंगे। अधिकतर में एक बात सामान्य भी पाई होगी। वह है उनका सफेद रंग का होना। कभी सोचा है क्यों होता है? दरअसल, इसके पीछे वैज्ञानिक और आर्थिक कारण होते हैं। एयरलाइन कंपनियां भी इन्हीं के चलते सफेद हवाई जहाज चलवाती हैं, जिसमें कंपनी के साथ यात्रियों के हित भी होते हैं। पहले बात करते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक वजहों की।

हवाई जहाज आसमान में उड़ते हैं। रन वे पर घंटों खड़े रहते हैं। ऐसे में उन पर धूप भी पड़ती है। वे भी इसानों की तरह सूर्य की किरणों से तपते हैं। चूंकि इनमें इंफ्रारेड रेज़ होती हैं। वे भयंकर गर्मी पैदा करती हैं। ऐसा न हो, इसलिए प्लेन पर सफेद पेंट कराया जाता है। इससे थर्मल एडवांटेज मिलता है। सफेद रंग बेहद रिफ्लेक्टिव होता है। यह 99 फीसद किरणों को दूसरी ओर रिफ्लेक्ट कर देता है। प्लेन अगर तपेगा, तो यह विमान के साथ यात्रियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।

सफेद रंग पर कोई भी चीज आसानी से दिख जाती है। ऐसे में प्लेन की बाहरी हिस्से का निरीक्षण आसान हो जाता है। फ्लाइट के वक्त अगर इसके बाहर या फ्यूजलएज (Fuselage) पर डेंट (निशान) या क्रैक पड़ता है, वह आसानी से पकड़ में आ जाता है। जबकि रंगीन विमानों में उसे खोजने में खासा वक्त जाया करना पड़ता है। तीसरा कारण है सफेद रंग का विजिबल होना। चूंकि हवाई जहाज दिन-रात और अलग-अलग मौसम में उड़ते रहते हैं। वह आसमान में आसानी से दिखें, इसलिए भी रंग सफेद होता है। यही कारण है कि कई दुर्घटनाएं होने से बच जाती हैं।

प्लेन रखना और उन्हें चलवाना बेहद खर्चीला काम है। एयलाइन कंपनियों को इनकी डेंटिंग-पेटिंग पर भारी बजट निकालना होता है। इधर, पेंट के वजन से विमान का वजन भी बढ़ता है। सफेद रंग हल्का वजन के मामले में रंगीन वालों से हल्का माना जाता है। दूसरा रंग कराना इसलिए भी छोड़ा मुश्किलदेह हो जाता है क्योंकि सफेद प्लेन की रीसेल वैल्यू ज्यादा होती है। वैज्ञानिक कारणों की वजह से।

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