PM मोदी के काफिले में फंसी एंबुलेंस को अफसर ने दिया रास्ता, हाईकोर्ट के जज ने ऑफिस पहुंचकर दी शाबासी

वीआईपी सुरक्षा काफिले कई बार जरूरतमंदों के लिए भी मुसीबत का सबब बन जाते हैं। लेकिन शनिवार (23 जून) को इंदौर में ऐसा नहीं हुआ। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहर में थे। वह स्वच्छता अवॉर्ड बांटने के लिए शहर आए थे। उनके आने पर एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था। लेकिन पैरालिसिस से पीड़ित महिला को लेकर जा रही एंबुलेंस को देखकर इंदौर पुलिस के अधिकारी ने उसे जाने की इजाजत दी। अब इस कार्यवाही पर अफसर की खूब तारीफ हो रही है। रविवार को हाईकोर्ट के एक जज ने भी सीएसपी के दफ्तर में आकर उनसे मुलाकात की और उनके फैसले की प्रशंसा की।

दरअसल जिस वक्त पीएम का काफिला इंदौर के बंगाली चौराहे से गुजरने ही वाला था। उससे थोड़ी ही देर पहले इंदौर की निशा वैद्य को अस्पताल ले जाने वाली एंबुलेंस चौराहे पर आ गई। निशा को पैरालिसिस का अटैक हुआ था। उनके मुंह से खून बह रहा था। उनकी हालत भी काफी गंभीर थी। सिपाहियों ने उसे चौराहे पर ही रोक दिया था। लेकिन मौके पर तैनात वरिष्ठ अधिकारी मध्य प्रदेश पुलिस में सीएसपी मनोज रत्नाकर ने निशा वैद्य को देखा। काफिले की लोकेशन ली और उन्हें जाने की इजाजत दे दी। सीएसपी मनोज रत्नाकर ने बताया,”वीआईपी मूवमेंट के बीच से ही हमें एंबुलेंस को भी जाने का वक्त देना था। मुझे सेकेंडों में फैसला करना था। मरीज की गंभीर अवस्था को देखकर और काफिले की दूरी का अनुमान लगाकर मैंने एंबुलेंस को जाने देने का फैसला किया। हमने इस दौरान सिक्योरिटी का भी पूरा कवर बनाए रखा।

एंबुलेंस को पीएम मोदी के काफिले के बावजूद जगह देने वाले सीएसपी मनोज रत्नाकर की अब खूब तारीफ हो रही है। समाचार पत्र में ये खबर पढ़ने के बाद इंदौर हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज ने अफसरों से इस बारे में पूरी जानकारी ली। बाद में वह सीएसपी मनोज रत्नाकर से मिलने के लिए उनके दफ्तर में भी पहुंचे। उन्होंने सीएसपी को गुलदस्ता भेंट करते हुए कहा,”वेलडन! आपने जो काम किया है, वह अनुकरणीय है।” प्रोटोकॉल के कारण नाम न छापने की शर्त पर जज ने समाचार पत्र दैनिक भास्कर को बताया कि मुझे अफसर की संवेदनशीलता ने प्रभावित किया है। इसी कारण मैं उनसे मिलने के लिए उनके दफ्तर गया था।

वहीं एंबुलेंस में मौजूद मरीज 73 साल की निशा वैद्य अब स्वस्थ हैं। वह सीएसपी मनोज रत्नाकर का धन्यवाद अदा करते हुए नहीं थक रही हैं। उन्होंने बताया,” मेरी तबियत पहले से खराब थी। मुझे मामूली पैरालिसिस था, कमर की हड्डी टूटी हुई थी। दिल का इलाज चल रहा है। शनिवार (23 जून) की दोपहर मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो भाई ने एंबुलेंस बुलवा ली। लेकिन बंगाली चौराहे पर सिपाहियों ने उसे रोक दिया क्योंकि पीएम का ​काफिला निकलने ही वाला था। लेकिन पुलिस के बड़े अधिकारी ने मेरी हालत देखी तो उन्होंने खुद पैदल चलकर चौराहा पार करवा दिया। मैं हर पल उनकी शुक्रगुजार हूं। उन्हीं के कारण मेरी जान बच गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *