ईडी अधिकारी के खिलाफ जांच को सरकार स्वतंत्र : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोई भी अधिकारी संदेह के दायरे में नहीं रहना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि एअरसेल-मैक्सिस सौदे सहित 2-जी स्पेक्ट्रम आबंटन जैसे संवेदनशील मामलों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच के लिए सरकार स्वतंत्र है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के अवकाशकालीन पीठ ने कहा- यह सरकार को तय करना है कि एअरसेल-मैक्सिस मामले की जांच कर रहे अधिकारी की जांच में आगे कोई भूमिका होगी या नहीं। पीठ ने पहले कहा था कि सिंह के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोप हैं। इनकी जांच की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने किसी भी जांच के खिलाफ सिंह को मिले संरक्षण के अपने अंतरिम आदेश में भी संशोधन कर दिया। अदालत ने ऐसा करते समय केंद्र के हलफनामे का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि उसकी मंशा इस मामले में किसी को भी बचाने की नहीं है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा- हकीकत यह है कि जब आपके खिलाफ (राजेश्वर सिंह) आरोप लगे हों, चाहे सही या गलत, उनकी जांच होनी ही है। दूसरा, आपका शोषण नहीं किया जाना चाहिए। तीसरा, क्या यह उचित होगा कि जब आप ही संदेह के घेरे और जांच के दायरे में हों तो आपको जांच करनी चाहिए। आप सिर्फ एक अधिकारी हैं। आपको सीधे क्लीनचिट नहीं दी जा सकती। हर व्यक्ति जवाबदेह है। हम आपको नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, न ही आपके खिलाफ टिप्पणी करना चाहते हैं। आपके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। यह किसी का कहना नहीं है कि वर्तमान सरकार इस जांच को विफल बनाना चाहती है। सरकारी हलफनामे के अनुसार उसकी मंशा किसी को भी बचाने की नहीं है, वह चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो।

पीठ ने सरकार के इस आश्वासन को भी दर्ज किया कि जांच का काम शीर्ष अदालत द्वारा 12 मार्च को निर्धारित छह महीने की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा। जजों ने कहा- हम निर्देश देते हैं कि सरकार राजेश्वर सिंह के खिलाफ पेश सामग्री पर गौर करने के लिए स्वतंत्र है। यह सरकार को तय करना है कि क्या इस मामले में सिंह की कोई भूमिका होगी। पीठ ने यह भी कहा कि एअरसेल-मैक्सिस सौदे के मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है। अदालत ने इसके साथ ही रजनीश कपूर, राजेश्वर सिंह और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिकाओं का निबटारा कर दिया। पीठ ने साफ किया कि उसने अपने आदेश में किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे पहले केंद्र की ओर से अतिरिक्त महान्यायवादी विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत से कहा कि सरकार इन आरोपों की जांच के लिए तैयार है कि सिंह ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है।

उन्होंने सीलबंद लिफाफे में एक पत्र भी पीठ को सौंपा। पीठ ने सीलबंद लिफाफे में सौंपे दस्तावेज देखने के बाद कहा कि इस मामले में संवदेनशील मुद्दे शामिल हैं। खुद के खोजी पत्रकार होने का दावा करने वाले रजनीश कपूर ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि राजेश्वर सिंह ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है और इसकी जांच होनी चाहिए। राजेश्वर सिंह ने कपूर के खिलाफ अलग से अवमानना याचिका भी दायर की जिसमें दावा किया कि एअरसेल-मैक्सिस सौदा मामले की जांच को पटरी से उतारने और इसमें देरी के प्रयास किए जा रहे हैं।

भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी कपूर की याचिका में हस्तक्षेप की अनुमति के लिए आवेदन दायर किया था। शीर्ष अदालत ने 12 मार्च को सीबीआइ और ईडी को एअरसेल-मैक्सिस सौदे को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा दी गई मंजूरी में कथित अनियमितताओं की जांच का काम छह महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया था। इस मामले में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम से जांच एजंसियों ने पूछताछ की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *