स्विस बैंकों में बढ़ा भारतीयों का पैसा, अरुण जेटली ने फेसबुक पर दी सफाई

स्विस बैंकों भारतीयों के धन में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने की खबर आने पर विपक्ष समेत आलोचकों से घिरती सरकार की तरफ से सफाई आई है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विस्तार से लिखी अपनी फेसबुक एक पोस्ट में इस बारे में सफाई दी है। अरुण जेटली के ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि स्विट्जरलैंड ने कर चोरी करने वालों की पनाहगाह और गैर-अनुपालन राज्य की छवि से बाहर निकलने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। यह वास्तविक समय में खुलासा करने की कगार पर है, इसलिए कर चोरी करने वालों के लिए अब यह एक आदर्श गंतव्य नहीं रहा। ऐसा मान लेना कि सभी तरह का जमा किया हुआ धन अपने आप में कर चोरी वाला है या अवैध धन के मामले में स्विटरलैंड एक दशक पहले जैसा है, यह एक अस्थिर अनुमान होगा। फेसबुक पोस्ट में वित्त मंत्री ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कर चोरी, कालाधन आदि को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों और नीतियों का जिक्र किया है।

बता दें कि स्विटर के ज्यूरिख स्थित स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) ने 2017 में स्विस बैंकों में जमा किए गए धन के आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक 2017 में भारतीयों का धन 50 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 7000 करोड़ रुपये (1.01 अरब फ्रैंक) हो गया। हालांकि इससे पहले के 3 वर्षों में स्विस बैंक में भारतीयों के धन में गिरावट दर्ज की जा रही थीं लेकिन 2017 में इस मामले अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने से आलोचकों की नजर मोदी सरकार के द्वारा कालेधन को रोकने के लिए नोटबंदी के फैसले पर चली गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार को इस पूर्व और वर्तमान की स्थिति पर घेरा है। मोदी सरकार अपनों से भी घिरी नजर आ रही है। बीजेपी नेता सुब्रमण्य स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि वित्त सचिव अधिया के लिए एक बड़ी कामयाबी, एक तरफ पूरी दुनिया का स्विस बैंक में डिपोजिट सिर्फ 3 फीसदी बढ़ा है, तो वहीं भारतीयों का 50 फीसदी बढ़ गया है। अधिया इससे भी ज्यादा मैनेज कर सकते थे, अगर राजेश्वर (ईडी अफसर) बीच में ना आते।

अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने कहा है भारत और स्विटजरलैंड के बीच हुआ एक करार अगले वित्त वर्ष के आखिर तक कालाधन की पूरी जानकारी मुहैया कराएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीयूष गोयल ने कहा, “मुझे (मीडिया रपटों से) पता चला है कि विदेश भेजी हुई रकम में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है, ऐसा रिजर्व बैंक के उदारीकृत विप्रेषण योजना के कारण है, जिसे पूर्ववर्ती (संप्रग) सरकार लाई थी। इसके तहत देश में रहने वाला कोई व्यक्ति 250,000 डॉलर प्रति वर्ष विप्रेषित कर सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “इसमें देश में नहीं रहने वाले भारतीयों का जमा भी शामिल है। अगर कोई गड़बड़ी सामने आती है तो हम कार्रवाई करेंगे। हमारी सरकार के कालाधन के खिलाफ विभिन्न उपायों से स्विस बैंक में जमा राशि में कमी हो रही है।”

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