अमेरिका के विरोध के बाद भी भारत के तेवर सख्त, रूस से ही खरीद रहा मिसाइल!

अमेरिका की नाराजगी को दरकिनार करते हुए भारत ने रुस से आधुनिक एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खरीद की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल (डीएसी), जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण करती हैं, एस-400 मिसाइल के अनुमानित 39000 करोड़ के सौदे को हरी झंडी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, अब यह डील मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय जाएगी, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह डील अंतिम मंजूरी के लिए केन्द्रीय कैबिनेट की सुरक्षा ईकाई के पास भेजी जाएगी।

गौरतलब है कि डीएसी की बैठक गुरुवार को हुई है और इससे पहले बुधवार को अमेरिका ने भारत के साथ होने वाली टू प्लस टू मीटिंग को रद्द कर दिया था। यह बैठक 6 जुलाई को वॉशिंगटन में होनी थी, जिसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की तरफ से उसके विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस को शिरकत करनी थी। माना जा रहा है कि अमेरिका द्वारा टू प्लस टू बैठक को रद्द करने का कारण भारत द्वारा रुस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद भी हो सकता है, जिस पर अमेरिका ने अपनी नाराजगी जतायी थी। बता दें कि भारत ने साल 2015 में एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की योजना बनायी थी, जिसके सौदे को अंतिम रुप साल 2016 में गोवा में हुए मोदी-पुतिन समिट के दौरान दिया गया।

अमेरिका को क्या है आपत्तिः दरअसल अमेरिका अपने एक कानून CAATSA(countering america’s adversaries through sanvtions act) के तहत भारत और रुस के इस मिसाइल सौदे पर अपनी आपत्ति जता रहा है। यह कानून दुनिया भर के देशों को रुस से हथियार खरीदने से रोकता है। एस-400 के अलावा भी भारत और रुस के बीच कई डिफेंस डील पाइपलाइन में हैं।

क्या है एस-400 मिसाइल सिस्टम की खासियतः भारत ने रुस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम के 5 स्कवाड्रन खरीदने की योजना बनायी है। इस मिसाइल सिस्टम की खासियत है कि यह किसी भी एयरक्राफ्ट, स्टील्थ फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन्स को 400 किलोमीटर की रेंज में निशाना बनाकर तबाह कर सकता है। एस-400 मिसाइल सिस्टम के रडार 600 किलोमीटर की रेंज में सैंकड़ों टारगेट को एक साथ ट्रैक कर सकते हैं। यह मिसाइल सिस्टम बैलेस्टिक मिसाइल के हमले को भी ट्रैक कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, सबसे पहले भारतीय वायुसेना को एस-400 मिसाइल सिस्टम की स्कवाड्रमन से लैस किया जाएगा। भारत और रुस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील फाइनल हो जाने के बाद 2 साल में भारत को इसका पहला स्कवाड्रन मिलेगा और अगले 4 सालों में बाकी 4 स्कवाड्रन भारत को मिल जाएंगे।

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